मन भारी होना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- मन में किसी प्रकार की अस्वस्थता का अनुभव या बोध होना।
प्रयोग- लड़को की बात-चीत से न जाने क्यों उसका मन भारी हो गया था। (गिरिधर गोपाल)
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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पाइँचा भारी करना
आना जाना छोड़ देना, किसी कार्य को त्यागने का अहद करना, एक जगह जम कर बैठना, बाहर न निकलना, यातायात का त्याग, घर में बैठना, बाहर न निकलने की क़सम खा लेना
मन भारी करना
कुढ़ना, उदास होना, ग़मगीं होना, दिल-ए-अफ़सुर्दा होना, मुकद्दर होना
पाँव भारी करना
मन चलियाँ करना
मन-चला पन करना, दीवानगी दिखाना
मंज़िल भारी करना
सफ़र को मुश्किल बनाना, मंज़िल कठिन करना
मन-समझौती करना
दिल को समझा लेना, दिल को तसकीन दे लेना, अपनी तसल्ली कर लेना, इतमीनान कर लेना । वो भी इन सबकी सुनता था और अपनी मन समझौती कर लेता था
भारी-आँत
मन में जागा करना
दिल में जगह बनाना, दिल में घर करना, मुहब्बत पैदा करना
भारी-पाँव
आँत भारी तो बात भारी
भारी-आँत
आँत भारी तो मात भारी
पेट की ख़राबी से बीमारी पैदा होती है, मेदे की ख़राबी से सिर में दर्द होता है
भारी-सन'अत
लोहे-की बड़ी-बड़ी कारखाने बनाने का कारोबार, अधिक सरमाये से बनने वाले कारख़ाने या मिल आदि
भारी-आवाज़
भारी-जहेज़
भारी-आवाज़
भारी-जोड़ा
एक महंगा और कढ़ाई वाला सूट, क़ीमती लिबास
भारी-पेट
भारी-सर
भारी-रात
भारी-तेल
भारी-बात
भारी-चाल
बड़ा-भारी
आँत भारी होना
पेट में कुछ कसर होना, बद हज़मी होना
भारी आँत होना
क़बज़ की हालत होना, कोष्ठबद्धता होना
मन-मँगे
भारी-पन
भारी होने की अवस्था या भाव, बोझ, वज़न, गिरानी
भारी-मीरा
भारी-पैर
भारी-भरकम
बड़े डील-डौलवाला
मन के मन में
ज़ुल-मन
एहसान करने वाला, उपकारी, बहुत देने वाला (ईश्वर के लिए प्रयुक्त)
मन-'अरफ़
भारी-ग्रेड
भारी-पत्थर
प्रतीकात्मक: कुंवारी लड़की, अविवाहित पुत्री जिसकी शादी का बोझ माँ-बाप पर होता है
पाँव भारी होना
भारी पाँव होना
चलने-फिरने में कष्ट होना, डर से पैर न उठना
पाँव भारी होना
औरत का हैज़ से होना
मन-मंडप
शेषनाग का निवास स्थान
मन-रंजक
मन-जहाँगीरी
मन-दानम-ओ-कार-ए-मन
(फ़ारसी फ़िक़रा उर्दू में बतौर कहावत मुस्तामल) में अपने फ़र्ज़ का ख़ुद ज़िम्मेदार हूँ, चू कुछ करना चाहिए वो में ख़ुद कर लूंगा
दो-ए-मन
मन-मुक़िर
मन-पसंद
मन-भावन, जो दिल को पसंद आए, पसंदीदा, दिल-पसंद अथवा प्रिय, महबूब, प्यारा
मनों-मन
मन-'इराक़ी
मन-मन भर का
'अज़ीज़-ए-मन
मन ढाँपना
दिल छुपाना , दिल को मशग़ूल रखना या होना (उमूमन याद इलाही में)
मन मन गाए , टिस टिस रोए
पाँचा भारी कर लेना
देर करना, ताख़ीर करना
मन मन भर के पाँव
मुश्फ़िक़-ए-मन
पत्र में शीर्षकों के लिए शब्द, मेरे दाता, मेरे मेहरबान, मेरे दोस्त, मेरे प्यारे
मन-बंदा
मन-ए-इस्कंदरानी
लाखों पर भारी
मन ही मन में
मन मन भर के पाँव होना
पाँव का थक कर भारी महसूस होने लगना
मन मन भर के पाँव
पाँव मन मन भर के हो जाना
रुक : पांव सौ सौ मन के हो जाना
मन मन भर के पाँव हो जाना
पाँव का थक कर भारी महसूस होने लगना
पाँव मन भर का होना
मन-मन भर का
मन-भर
पाँव लाख मन के होना
रुक : पांव सौ सिवा मन के होना, चलने फिरने से आजिज़ होजाना
मन के मन में
पाँव हज़ार मन के होना
रुक : पांव सौ मन के होना
तन-मन भर जाना
दिल भर जाना, ख़ुश होना
एक एक पाँव एक एक मन का होना
बहुत थकान; लज्जा या भय आदि से पैर आगे को न उठना
मन' होना
निषिद्ध होना, रोक दिया जाना, इजाज़त न होना
तन-मन एक होना
मन-मँगे
ज़ुल-मन
एहसान करने वाला, उपकारी, बहुत देने वाला (ईश्वर के लिए प्रयुक्त)
पाँव सौ मन के हो जाना
चलने की ताब-ओ-ताक़त ना रहना, चलना दूभर हो जाना
मन-चली होना
दिलों में रंज हो जाना, शकररंजी हो जाना
मन-'अरफ़
मन चंगा होना
दिल साफ़ होना
मन-मंडप
शेषनाग का निवास स्थान
मन-रंजक
तन मन में एक होना
बहुत दोस्त होना, बड़ा याराना होना
मन-जहाँगीरी
मन-दानम-ओ-कार-ए-मन
(फ़ारसी फ़िक़रा उर्दू में बतौर कहावत मुस्तामल) में अपने फ़र्ज़ का ख़ुद ज़िम्मेदार हूँ, चू कुछ करना चाहिए वो में ख़ुद कर लूंगा
दो-ए-मन
मन-मुक़िर
मन-पसंद
मन-भावन, जो दिल को पसंद आए, पसंदीदा, दिल-पसंद अथवा प्रिय, महबूब, प्यारा
मनों-मन
मन-'इराक़ी
'अज़ीज़-ए-मन
मन ढाँपना
दिल छुपाना , दिल को मशग़ूल रखना या होना (उमूमन याद इलाही में)
मन मन गाए , टिस टिस रोए
सौ सौ मन के पाँव हो जाना
पाँव सौ सौ मन के हो जाना
मुश्फ़िक़-ए-मन
पत्र में शीर्षकों के लिए शब्द, मेरे दाता, मेरे मेहरबान, मेरे दोस्त, मेरे प्यारे
मन-बंदा
मन-ए-इस्कंदरानी
मन ही मन में
मन-ख़ानी
(चिकित्सा) तीन सौ साठ तोले के बराबर एक तौल
चिंता-मन
कंठा-मन
मन-ए-हिंदी
जनाब-ए-मन
मेरे प्यारे, श्रीमान, मेरे हुज़ूर (सम्मान सूचक)
मन-ए-अकबरी
जान-ए-मन
(शाब्दिक) मेरी जान, प्यारे, प्रिय
पाँव हज़ार मन के हो जाना
मन-तबरेज़ी
(चिकित्सा) दो सौ या दो सौ पचीस तोले के बराबर एक वज़न
मन-खींचू
मन-सग़ीर
मन-क़तरी
टुक टुक कर के मन भर खावे, तुंक बेगमाँ नाम बतावे
जो महिला नखरों से खाए, उस के संबंधित कहते हैं
मन 'इल्म और दस मन 'अक़्ल
इलम से मुस्तफ़ीद होने के लिए तजुर्बे के ज़रूरत है, (फ़ारसी) 'बिक मन इलम रा दह मन अक़ल बायद' का तर्जुमा)
साहिब-ए-मन
ख़िताब या अलक़ाब के लिए मुस्तामल (मुराद : जनाब मन) नीज़ बाअज़ का तकयाकलाम
यारान-ए-मन
मन-शर'ई
अपने मन से जानिए, पराए मन की बात
दूसरे तुम से क्या चाहते हैं अथवा कैसे व्यवहार की आशा रखते हैं, इसे स्वयं अपने मन से समझ लेना चाहिए, जैसा तुम दूसरे को समझते हो वैसा ही वह तुम को समझता है