मुहर्रम के बारे में क्या करना चाहिए? - muharram ke baare mein kya karana chaahie?

Muharram me kya karna chahiye? ये हम आपको इस पोस्ट में बताने वाले हैं, इससे आपको ये पता चलेगा की आखिर मुहर्रम में क्या करना चाहिए; और मुहर्रम में क्या करना चाहिये जिससे ज्यादा-से-ज्यादा सवाब मिले.

ये बताने से पहले मैं आपको ये बताना चाहता इनकी मोहर्रम उन महीनों में से आता है जब अल्लाह अपने बंदे पर रहमत नाजिल करता है. इसलिए इस महीने किया गया अच्छा काम आपको अल्लाह के और जन्नत के करीब ले जाता है; जो हम सभी मुसलमान चाहते हैं.

जैसा की हम सभी जानते हैं कि हैं हम हिजरी कैलेंडर का पहला महीना है; जो की बड़े अजमत वाला महीना है, और तो और अल्लाह ने कुरान में फ़रमाया है की…… 

“हकीकत  में, अल्लाह के पास महीनों की गिनती बारह महीने (एक साल में) है, तो क्या यह अल्लाह के जरिये उस दिन ठहराया गया था जिस दिन उसने आसमानों और दुनिया को बनाया था; उनमें से चार मुक़द्दस हैं, (यानी इस्लामिक कैलेंडर का पहला, सातवां, 11वां और 12वां महीना)। वही सही मज़हब है, तो गलत उसमें आप नहीं।” सूरह अल तौबा की आयत. 

इसका मतलब मुहर्रम भी इस्लाम के चार मुकद्दस महीनों में से एक है;जो मुहर्रम को एक बहुत ही बड़ा (औहदे के लिहाज में) महीना बना देता है. इसलिए इस महीने में किया गया हर एक नेक काम का अजर बहुत बढ़ कर मिलता है. और यही वजह है की हम आपके सामने आज Muharram me kya karna chahiye? की पोस्ट लेकर हाजिर हुए हैं. 

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आइये जानते हैं गहराई से Muharram me kya karna chahiye? (मुहर्रम के महीने में क्या करना चाहिए)

  • Muharram me kya karna chahiye?
  • #1. अल्लाह का जिक्र करें और अल्लाह को याद करें.
  • #2. गुनाहों से बचे और अगर अच्छे काम करें.
  • #3. ज्यादा से ज्यादा इस महीने रोज़ा रखें.
  • #4. 10 मुहर्रम (अशुरा) का रोज़ा जरूर रखें.
  • #5. गरीबों में जरूरत के समान बाटें, भूखे को खाना और प्यासे को पानी दें.
  • #6. अशुरा की नमाज पढ़ें 10 मुहर्रम को, और बाकी नमाज पढ़ें.
  • #7. मुहर्रम से जुड़ी किताबें पढ़ें, कुरान और हदीस पढ़ें (जंग ए कर्बला जानें).
  • #8. नफिल नमाज पढ़ें, ज्यादा से ज्यादा.
  • #9. सूरह अल इखलास पढ़ें, 1000 मर्तबा.
  • #10. Dua e ashura भी पढ़ते रहें.

ऐसे बहुत से काम है जो मुहर्रम में करने चाहिए जिससे हमें ढेर सारा सवाब मिलता है, और गुनाहों की माफ़ी होती है. तो हाँ, मुहर्रम में हमें नीचे लिखे हुए काम जरूर करने चाहिए….. 

Muharram me kya karna chahiye?…… 

  • अल्लाह का जिक्र करें. 
  • गुनाहों से बचें और अच्छे काम करें. 
  • अपने गुनाहों की तौबा करें. 
  • ज्यादा से ज्यादा इस महीने रोज़ा रखें. 
  • अशुरा (10 मुहर्रम) का रोज़ा जरूर रखें और 9 मुहर्रम का भी. 
  • गरीबों में जरूरत के सामान बाटें. 
  • भूखों को खाना खिलायें और प्यासे को पानी पिलायें. 
  • अशुरा की नमाज पढ़ें 10 मुहर्रम को, और बाकी नमाज पढ़ें.
  • मुहर्रम से जुड़ी किताबें पढ़ें, कुरान और हदीस पढ़ें (जंग ए कर्बला जानें). 
  • नफिल नमाज पढ़ें, ज्यादा से ज्यादा.
  • सूरह अल इखलास पढ़ें, 1000 मर्तबा. 
  • Dua e ashura भी पढ़ते रहें.

आइये अब आपको इन सभी पॉइंट्स को एक-एक करके गहराई में बताते हैं.

#1. अल्लाह का जिक्र करें और अल्लाह को याद करें.

हमें हमेशा अल्लाह से दुआ करनी चाहिए कि हमें अल्लाह अपनी पनाह में ले ले, और हम पर रहम करे. 10 मोहर्रम जानी आशूरा के दिन हमने इमाम हुसैन को खोया था उनकी शहादत के बाद. इसलिए हमें अल्लाह से ये दुआ करनी चाहिए कि अल्लाह हमें मजबूत करें और अपनी पनाह मे रखे. 

#2. गुनाहों से बचे और अगर अच्छे काम करें.

जितना हो सके उतना मोहर्रम के महीने में अच्छे काम करें, तमाम गुनाह देने वाली चीजों से बचें. जितना ज्यादा अच्छा काम करेंगे उतना ही सवाब आपको मिलेगा. और जो गुनाह हो गए हैं उनकी तौबा करें और अल्लाह से माफ़ी मांगें की वो आपको हिदायत दे. 

#3. ज्यादा से ज्यादा इस महीने रोज़ा रखें.

आपसे जितना हो सके मोहर्रम के महीने में रोजा रखे, वैसे तो प्यारे नबी ने 10 मोहर्रम को ही रोजा रखा था. लेकिन आप इस महीने ज्यादा से ज्यादा रोजा रखने की कोशिश करें. वैसे तो इस महीने रोज़ा रखना कोई फर्ज नहीं है रमजान जैसा. लेकिन ज्यादा से ज्यादा रोज़ा रखें कि कोशिश करनी चाहिए.

ये भी पढ़ें:- 1 - खाना खाने से पहले और बाद की दुआ। 2 - पानी पीने से पहले और बाद की दुआ। 3 - रात को सोने से पहले की दुआ। 4 - सुबह उठने के बाद की दुआ। 5 - सिर दर्द की दुआ हिन्दी में।

#4. 10 मुहर्रम (अशुरा) का रोज़ा जरूर रखें.

जैसा मैंने ऊपर कहा कि मोहर्रम में रोजा रखना कोई फर्ज नहीं है लेकिन जितना हो सके उतना रखना चाहिए. अगर नहीं रख पाए तो कोई बात, लेकिन फिर भी 10 मोहर्रम यानी आशूरा का रोजा जरूर रखें.

ये काम Muharram me kya karna chahiye? के सबसे जरूरी कामों में से एक माना जाता है. 

क्यूंकि प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मूसा अलैहिस्सलाम के एहतराम के वास्ते 10 मोहर्रम यानी असुरों का रोजा रखा था. प्यारे नबी ने उनकी शान में और उनके सम्मान में रोज़ा रखा था तो हमें भी 10 मुहर्रम का रोज़ा रखना चाहिए.

और अगर हो सके तो 9 मुहर्रम का भी रोज़ा जरूर रखें…. 

#5. गरीबों में जरूरत के समान बाटें, भूखे को खाना और प्यासे को पानी दें.

हमने मोहर्रम में और खासकर 10 मोहर्रम को बहुत से लोगों को मुफ्त में सामान बांटते देखा है; जहां कुछ लोग खाने पीने का सामान बांटते हैं तो वहीं कुछ लोग जरूरत के सामान भी. हमें यह देख कर बहुत खुशी होती है और लोगों को यह करते रहना चाहिए इससे उन्हें ढेर सारा सवाब मिलता है. भूखे को खाना और प्यासे को पानी जरूर दें. 

अल्लाह हम सभी को इसकी तौफीक दे……..

#6. अशुरा की नमाज पढ़ें 10 मुहर्रम को, और बाकी नमाज पढ़ें.

हम सभी मुसलमानों को हमेशा ही नमाज पढ़ते रहना चाहिए उसी तरह हमें मोहर्रम में भी नमाज को नहीं छोड़ना है. नमाज हमें अदा करते रहना है, मुहर्रम में नमाज पढ़ने का सवाब भी काफी है.

और खासकर 10 मोहर्रम यानी आशूरा की नमाज भी जरूर पढ़ें, वैसे तो ये नमाज बाकी नफिल नमाज जैसी ही है लेकिन थोड़ी अलग है. और हाँ, 10 मुहर्रम की रात को भी लोग इबादत करते हैं और इसका सवाब पाते हैं.

#7. मुहर्रम से जुड़ी किताबें पढ़ें, कुरान और हदीस पढ़ें (जंग ए कर्बला जानें).

मोहर्रम के 5 महीने के बारे में आपको ज्यादा से ज्यादा जानकारी होनी चाहिए इसके लिए आप हदीस पढ़ सकते हैं और उससे जुड़ी किताबें पढ़ सकते हैं. इसी के साथ-साथ हमें कुरान भी पढ़ना चाहिए, मोहर्रम में ताकि हमें सही जानकारी हो इस महीने से जुड़ी….

ये काम Muharram me kya karna chahiye? के सबसे जरूरी कामों में से एक माना जाता है. और इन सभी के साथ-साथ आपको जंग ए कर्बला के बारे में भी जानना है, इसके लिए आप हदीस की मदद लें और बाकी किताबों की जिसमें ये लिखा हो…..

ये भी पढ़ें:- 1 - सुरह यासीन पढने की फजीलत। 2 - सुरह मुल्क पढने की फजीलत। 3 - सुरह जुमा पढने की फजीलत। 4 - सुरह अल फातिहा की फजीलत। 5 - चारों कुल पढने की फजीलत।

#8. नफिल नमाज पढ़ें, ज्यादा से ज्यादा.

जैसा कि मैंने कहा कि 10 मोहर्रम यानी आशूरा की नमाज जरूर पढ़नी चाहिए. उसी तरह आप से जितना भी हो सके दो रकात नफिल नमाज जरूर पढ़ें मोहर्रम के पूरे महीने में. इससे आपको बहुत ज्यादा सवाब मिलेगा और आप अपने आप में बहुत अच्छा महसूस करेंगे और अपने आप को अल्लाह के नजदीक पाएंगे. 

#9. सूरह अल इखलास पढ़ें, 1000 मर्तबा.

Surah al ikhlas जरूर पढ़ें जितना ज्यादा हो सके. और हो सके तो 10 मोहर्रम यानी आशूरा के दिन इसे ज्यादा से ज्यादा पढ़े कम से कम 1000 मर्तबा. इसे पढ़ना काफी अफजल है हमने आपको surah al ikhlas वाले आर्टिकल में बताया है.

#10. Dua e ashura भी पढ़ते रहें.

दुआ ए आशूरा आपको हमेशा पढ़ते रहना है 10 रमजान के दिन, इसकी काफी ज्यादा फजीलत है.

ये भी पढ़ें:-

  • फजर की नमाज का तरीका।
  • जोहर की नमाज का तरीका।
  • असर की नमाज़ का तरीका।
  • मगरिब की नमाज़ का तरीका।
  • ईशा की नमाज का तरीका।

उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी जानकारी से भरी आजकी ये पोस्ट पसंद आई होगी जिसमें हमने मोहर्रम के दिन क्या करना चाहिए जाना. अगर आपको यह पोस्ट पसंद आए तो इसे सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर जरूर शेयर करें ताकि सभी को मोहर्रम के लिए जरूरी कामों का पता चल सके.

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मुहर्रम में हम क्या करते हैं?

पैगंबर हजरत मोहम्‍मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोग मुहर्रत पर मातम मनाते हैंमुहर्रम महीने का दसवां दिन सबसे खास माना जाता है। इतिहास में ऐसा बताया गया है कि मुहर्रम के महीने की 10वीं तारीख को कर्बला की जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी।

मोहर्रम के दिन क्या करना चाहिए?

मुसलमानों का मानना है कि मोहर्रम के इस माह में अल्लाह की खूब इबादत करनी चाहिए। पैगंबरों ने इस माह में खूब रोजे़ रखे। जानकारी के लिए बता दें कि अल्लाह की बन्दगी तो आठों पहर और सोते जागते करनी चाहिए। अल्लाह की बन्दगी का कोई महीना विशेष या दिन विशेष नहीं होता।

मुहर्रम का क्या महत्व है?

मोहर्रम माह के 10वें दिन यानी 10 तारीख को रोज-ए-आशुरा कहा जाता है। इन दिन को इस्लामिक कैलेंडर में बेहद अहम माना गया है क्योंकि इसी दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में अपने 72 साथियों के साथ शहादत दी थी।

मुहर्रम का इतिहास क्या है?

मुहर्रम वह महीना है जिसमें पैगंबर मुहम्मद के नाती हजरत हुसैन शहीद हुए थे। मुस्लिमों के बीच मान्यता है कि वह इस्लाम की रक्षा के लिए शहीद हुए थे। मुस्लिम समुदाय के पाक महीनों में से एक मुहर्रम 1 सितंबर से शुरू हुआ है। मुहर्रम से इस्‍लामिक कैलेंडर का नया साल शुरु होता है।

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