हमारी दुनिया में कई हजारों लाखों सालों से अलग-अलग पक्षियों के प्रजातियां इस धरती पर निवास करती थी परन्तु अब वो विलुप्त हो चुकी हैं। अगर बात करे 1900 से अब तक की तो आज तकरीबन 200 जीवों की प्रजातियां पूरी तरह की नष्ट हो चुकी है।
विश्व में करीब 10,000 प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं इनमें से 1200 प्रजातियां ऐसी हैं जोकि लुप्त होने की कगार पर हैं। पृथ्वी पर मानव की गतिविधियों और जंगलों के विनाश की वजह से कई पशु पक्षी विलुप्त हो चुके हैं।
सन 1500 से लेकर अब तक पक्षियों की 190 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। विलुप्त होने की यह प्रकिया दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।
पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त क्यों होती हैं
पक्षियों की ही नहीं बल्कि किसी भी प्रजाति के विलुप्त होने का मुख्य कारण हम इंसान ही हैं। जो अपने फायदों के लिए जंगल का विनाश और मासूम जीवों का शिकार करते हैं। इसके आलावा मौसम के बदलाव के कारण भी पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त हो जाती है।
आइये जानतें है विलुप्त हुए कुछ पक्षियों के बारे में :-
डोडो पक्षी
विलुप्त पक्षियों
सन 1598 में डच समुद्री यात्री इस द्वीप पर आए तो उन्होंने डोडो को उसके मांस के लिए शिकार करना शुरू कर दिया। डोडो पक्षी का शिकार करना बहुत आसान था, क्योंकि न तो ये उड़ पाते थे और अधिक वजन होने के कारण न ही भाग पाते थे। समुद्री यात्रियों ने इस द्वीप पर लगभग सभी डोडो पक्षियों को मार कर पूरी प्रजाति को ही नष्ट कर दिया था।
तस्मानियन इमु
तस्मानियन इमु, इमू पक्षी की ही एक प्रजाति थी जो कि तस्मानिया द्वीप में पाई जाती थीl यह पक्षी उड़ नहीं पाता थाl तस्मानिया में यह पक्षी काफी मात्रा में पाए जाते थे, परंतु किसानों ने इसे फसल को नष्ट करने वाला पक्षी मानते हुए इसका शिकार करना शुरू कर दिया और लगभग सारे पक्षियों को मार डाला।
कैरोलिना पैराकीट
अरबी शुतुरमुर्ग
इस पक्षी का शिकार मांस, अंडों उसके पंखों के लिए किया जाता था। इसके सुंदर पंखों से कई प्रकार के क्राफ्ट्स बनाए जाते थे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान बंदूक और राइफल के आ जाने से इनका शिकार और भी आसान हो गया और इन्हें केवल मनोरंजन के लिए ही मारा जाने लगा, और धीरे धीरे अरबी शतुरमुर्ग की पूरी प्रजाति ही खत्म हो गई।
संदेश वाहक कबूतर
शहरों को आबाद करने के लिए जंगलों का विनाश किया गया, जिससे कि इन संदेशवाहक कबूतरों का आवास ख़त्म हो गया। इन दोनों प्रमुख कारणों से उत्तरी अमेरिका में एक भी संदेशवाहक कबूतर नहीं बचा और यह प्रजाति पूरी तरह से विलुप्त हो गई।