हिंदी न्यूज़ धर्मKrishna Janmashtami 2022: भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव 19 को, व्रत के लिए यह दिन मान्य
Krishna Janmashtami 2022 Date: ज्योतिर्विद पं. नरेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि हृषीकेश पंचांग के अनुसार 19 अगस्त को सूर्योदय 5:35 बजे होगा। अष्टमी तिथि का मान सम्पूर्ण दिन अर्धरात्रि के बाद 1:06 बजे तक
What is the real date of Janmashtami in 2022: विष्णु अवतार भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव इस बार 19 अगस्त को मनाया जाएगा। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि के समय वृष के चन्द्रमा में हुआ था। धर्मशास्त्रत्तें के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को किया जाता है। 19 अगस्त को सूर्योदय और अर्धरात्रि के समय अष्टमी तिथि होने से यह पूर्ण मान्य है।
ज्योतिर्विद पं. नरेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि हृषीकेश पंचांग के अनुसार 19 अगस्त को सूर्योदय 5:35 बजे होगा। अष्टमी तिथि का मान सम्पूर्ण दिन अर्धरात्रि के बाद 1:06 बजे तक रहेगा। कृतिका नक्षत्र भी संपूर्ण शेष 4:58 बजे तक है। इस दिन ध्रुव योग पूरे दिन और अर्धरात्रि के बाद 1:06 बजे तक है। छत्र नामक औदायिक योग भी बन रहा है। अर्धरात्रि के समय चन्द्रमा की स्थिति वृषभ राशिगत है।
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सूर्योदय के समय अष्टमी और अर्धरात्रि को भी अष्टमी तिथि होने से कृष्ण जन्माष्टमी और व्रतोत्सव के लिए यही दिन शास्त्रत्तेक्त मान्य रहेगा। व्रत रहने वाले 20 की सुबह पारण करेंगे, उससे पहले रोहिणी नक्षत्र भी मिल जा रही है। इसलिए इस वर्ष जन्माष्टमी अत्यंत शुभकारी है। यह व्रत सर्वमान्य और पाप को नष्ट रहने वाला व्रत बाल, कुमार, प्रौढ़, युवा, वृद्ध और इसी अवस्था वाले नर नारियों के करने योग्य है। इससे उनके पापों की निवृत्ति और सुखादि की वृद्धि होती है।
राशि के अनुसार करें मंत्र जाप : पं. शरद चन्द्र मिश्र ने बताया कि जन्माष्टमी के दिन अपने राशि के अनुसार मंत्र जप करें तो अत्यंत सफलता और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। सभी 12 राशियों के लिए 12 मंत्रों का निर्धारण किया गया है। हर उपासक को अपनी राशि के अनुसार मंत्र का जाप करना चाहिए।
इस तरह करें व्रत-पूजन
पं. जोखन पांडेय ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन प्रात: काल स्नानादि के बाद पूजन-अर्चन कर व्रत का संकल्प लें। भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित कर झांकी सजाएं। इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमश: लेना चाहिए। मध्य रात्रि 12 बजे जन्मोत्सव मनाएं।
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वैष्णव 20 को मनाएंगे अष्टमी
ज्योतिषाचार्य पं. जितेन्द्र पाठक ने बताया कि रोहिणी मतावलंबी (वैष्णव) 20 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे। भगवान कृष्ण का जन्माष्टमी तिथि को अर्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। वैष्णवों में कुछ सम्प्रदाय सूर्योदय के समय रोहिणी नक्षत्र को प्रधानता देते हैं। रोहिणी नक्षत्र 20 अगस्त को भोर में 4:58 बजे से प्रारंभ हो रहा है। इसलिए वे कृष्ण जन्माष्टमी 20 अगस्त को मनाएंगे।