चीनी यात्री हेनसांग-भारत-उत्तराखंड यात्रा
भारतीय इतिहास को जानने के स्रोत में साहित्य तथा विदेशी यात्री विवरण का भी महत्वपूर्ण योगदान है, भारतीय इतिहास में प्राचीन काल से लेकर मध्य काल व आधुनिक काल तक अनेक विदेशी यात्री ने समय- समय पर भारत यात्रा करी और अपने यात्रा वृतान्त में भारत के विषय में भारत के शासकों के प्रशासन के बारे में लिखा इनमें बहुत से यात्रीयों ने उत्तराखंड की यात्र की और अपने यात्रा वृतान्त में उत्तराखंड का उल्लेख किया, उन्ही में एक नाम यात्री है हेनसांग आज बात करते है हेनसांग के बारे में-
* हेनसांग का जन्म 600 ई0 हुआ था
* जन्म स्थान- चीन के होनन प्रान्त में– लिउ नामक स्थान में हुआ था ।
हेनसांग के उपनाम
* हेनसांग को यात्रियों में राजकुमार कहाजाता है ।
* नीति का पंडित नाम से भी जाना जाता है ।
* शाक्य मुनि भी कहा जाता है ।
जीवन परिचय-
* हेनसांग चीनी यात्री था ,20 वर्ष की अवस्था में बौद्ध भिक्षु बन गया था वह बहुत अभिलाषी व्यक्ति था बौद्ध धर्म को जानने के उद्देश्य से उसने भारत की यात्रा करी उसे भारत की यात्रा करने में 1 वर्ष का समय लगा था ।
* वह मध्य एशिया के मार्ग से होता हुआ ताशकंद, समरकंद ,काबुल, पेशावर मार्ग से हिंदुकुश पहाड़ी को पार करता हुआ भारत पहुंचा था ।
* वह भारत में सर्वप्रथम भारतीय राज्य कपीसा पहुंचा था ।
* हेनसांग जिस समय भारत आया था उस समय भारत का शासक हर्षवर्धन था ।
* इन्हों ने नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन किया बौद्ध धर्म के बारे में जानकारी प्राप्त करी ,उस समय नालंदा विद्यालय के प्रमुख शिक्षक शीलवर्मन था ।
* हेनसांग ने भारत के बहुत से स्थल में भ्रमण किया और अपने यात्रा वृत्तांत सी-यू-की में उनका उलेख किया था ।
* हेनसांग ने कन्नौज की धर्म सभा तथा प्रयाग के छठे महा मोक्ष परिषद में भाग लिया था ।
* हेनसांग ने भारत के कई स्थलों की यात्रा की थी, उनमें एक स्थल उत्तराखंड भी था उत्तराखंड के विभिन्न स्थलों का उल्लेख हेनसांग ने अपने यात्रा वृतांत सी-यू-की की में किया है हेनसांग ने जिस समय उत्तराखंड की यात्रा की तो उस समय उत्तराखंड राज्य हर्ष के आधीन था
* हेनसांग द्वारा उत्तराखंड के विभिन्न स्थलों को निम्न नाम से सम्बोधित किया है ।
* हेनसांग ने हरिद्वार को – मो०-यो०-लो० कहा है ।
* हेनसांग ने गोविष्ण को – कि० उ०-पि०- स्वांग०-न० कहा है ।
* हेनसांग ने ब्रह्मपुर राज्य को- पो०-लो०-कि०-मो०-पो०-लो० कहा है ।
* हेनसांग ने स्वर्णगौत्र राज्य को – सो०-फ०-ल०-न०-कि०-लो० कहा है ।
विषयसूची
व्हेनसांग भारत कब आया?
इसे सुनेंरोकें4. ह्वेसन 629 में ह्वेनसांग को एक स्वपन में भारत जाने की प्रेरणा मिली. ह्वेनसांग 7वीं सदी में भारत आया और उसने बुद्ध के जीवन से जुड़े सभी पवित्र स्थलों का भ्रमण किया और उपमहाद्वीप के पूर्व एवं पश्चिम से लगे इलाकों की यात्रा की.
ह्वेनसांग कौन था वह भारत क्यों आया था?
इसे सुनेंरोकेंह्वेनसांग यह एक चीनी विद्वान , बौद्ध भिक्षु और प्रवासी थे। उनका जन्म ईसवी सन 602 में चीन में हुआ था। वे भारत भारतीय बौद्ध धर्म और चीनी बौद्ध धर्म के परस्पर विचार का अभ्यास करने आये थे। वे 7वी सदी में भारत आये थे।
इसे सुनेंरोकेंह्वेसन 629 में ह्वेनसांग को एक स्वपन में भारत जाने की प्रेरणा मिली. ह्वेनसांग 7वीं सदी में भारत आया और उसने बुद्ध के जीवन से जुड़े सभी पवित्र स्थलों का भ्रमण किया और उपमहाद्वीप के पूर्व एवं पश्चिम से लगे इलाकों की यात्रा की.
निम्न में से कौन विदेशी यात्री सर्वप्रथम चीन पहुंचने वाला था?
इसे सुनेंरोकेंचीनी यीत्री फाह्यान चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में भारत आया। फ़ाह्यान (399-414 ई0) तक भारत में रहा।
चीनी यात्री ह्वेनसांग हरिद्वार कब आया?
इसे सुनेंरोकेंचीनी यात्री ह्वेनसांग सन् 634 में हरिद्वार आया था। उसने इस नगर को “मो-यू-लो” तथा गंगा को महाभद्रा कहा।
सी यू की किसकी रचना है?
इसे सुनेंरोकेंExplanation : ‘सी-यू-की’ ह्वेनसांग की रचना है। चीनी यात्री ह्वेनसांग हर्षवर्धन के शासनकाल में 637 ई. में भारत आया था।
निम्नलिखित विदेशियों में से कौन सबसे पहले भारत आया था?
इसे सुनेंरोकेंनिकोलो कोंटी विजयनगर आने वाला पहला विदेशी यात्री था। वह विजयनगर साम्राज्य के राजा देवराय के शासनकाल में 1420-21 ई. में भारत आया था। जो मध्य युग में मुस्लिम व्यापारी के वेष में इटली से भारत आया, इसने दक्षिण-पूर्व एशिया और चीन तक की यात्रा की।
भारत में कितने चीनी यात्री आए थे?
How to solve भारत आने वाले प्रमुख विदेशी यात्री – Success Khan GK 115 problems?
305 से 297 ई० पू० | मेगास्थनीज (यूनानी राजदूत) |
298 से 273 ई० पू० | डाइमेकस (सीरिया का राजदूत) |
284 से 262 ई० पू० | डायोनिसियस (मिस्र का राजदूत) |
399 से 414 ई० पू० | फाहियान (चीनी बौद्ध यात्री) |