कोलार पावर विद्युत परियोजना कहाँ है - kolaar paavar vidyut pariyojana kahaan hai

भारत मे जल का विशाल भण्डार है। इस दृष्टि से भारत का विश्व मे पांचवा स्थान है। भारत मे पहला जल विद्युत शक्ति गृह 1897 में दार्जिलिंग,पश्चिम बंगाल के सिद्रापोग मे स्थापित किया गया था। इसकी क्षमता 130 मेगावाट थी। 1902 में कर्नाटक के शिवसमुद्रम मे कावेरी नदी के तट पर 130 किलोवाट क्षमता का दूसरा जल विद्युत गृह बनाया गया। स्वतंत्रता के बाद इस क्षेत्र में भारी वृध्दि हुआ। 1950-51 में विद्युत का उत्पादन 2.5 अरब किलोवाट था जो 1970-71 में बढकर 25.2 अरब किलोवाट, 1980-81 में 46.5 अरब किलोवाट और 1990-91 में 71.7 अरब किलोवाट, 1994-95 में 76.4 अरब किलोवाट हो गया परन्तु 1995-96 मे यह घटकर 73.5 अरब किलोवाट ही रह गया। लेकिन वर्ष 2000 मे यह उत्पादन बढकर 80.555 अरब किलोवाट हो गया। 2003-2004 मे 73.796 अरब यूनिट जल विद्युत क उत्पादन हुआ।

भारत में जल विद्युत परियोजना[संपादित करें]

बिजली आज मानव जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है, जिसके बिना कोई भी सामान्य जीवन नहीं जी सकता है हालांकि अधिकांश इस तथ्य से अवगत हैं कि सौर ऊर्जा का उपयोग करके पानी, कोयला, हवा और हाल के दिनों में बिजली पैदा की जा सकती है, लेकिन कुछ इस तथ्य से अवगत हैं कि, कर्नाटक के शिवनसमुद्र में पहला हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर स्टेशन स्थापित किया गया था। यह वास्तव में एशिया का पहला था। भारत की पहली जल विधुत परियोजना कौनसी है? pehli jal vidyut pariyojana kaunsi thi


शिवानासमुद्र हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट ने 1902 में और 1905 में बैंगलोर में कोलार गोल्ड फील्ड्स को बिजली की आपूर्ति की, जो बिजली की आपूर्ति करने वाला पहला भारतीय शहर बन गया। यह परियोजना 1900 में शुरू हुई थी जब मैसूर राज्य द्वारा 1899 में बिजली उत्पादन के लिए अपने प्राकृतिक जलप्रपात का उपयोग करने का निर्णय लेने के बाद के। शेषाद्री अय्यर दीवान थे।

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पावर स्टेशन की स्थापना का स्थल मैसूर शहर के पूर्व में और बैंगलोर के दक्षिण में कावेरी पर एक बिंदु था जहां नदी शिवनासमुद्रम के द्वीप को दो भागों में विभाजित करती है। पावर स्टेशन पर काम 1902 तक पूरा हुआ और उसी साल 30 जून को कोलार गोल्ड फील्ड्स में पहली बार बिजली का संचार हुआ।

दिसंबर 1937 में, मैसूर के महाराजा, कृष्णराज वोडेयार IV, ने शिमशपुरा में शिमसा हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी। यह बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए था। शिमशपुरा की स्थापित क्षमता 17,200 किलोवाट थी

इसे सुनेंरोकेंजल विद्युत संयत्र तेजी से प्रवाहित अथवा गिरते हुई जल की गतिज ऊर्जा से विद्युत उत्पन्न करने के लिए जल को एक उच्चतर स्तर एकत्र अथवा संग्रहित करके बड़े पाइपों ;जिन्हे पेनस्टॉक कहते हैं अथवा सुंरगों से निचले स्तर पर भेजा जाता है। गिरता हुए जल की सहायता से टरवाईनों को चलाया जाता है।

जल विद्युत उत्पादन के कौन कौन से मुख्य कारक है?

इसे सुनेंरोकेंजल विद्युत उत्पादन में बहुत बड़े जमीन कि जरूरत होती है। इस जमीन में बारिश के पानी की इकठ्ठा किया जाता है। जल विद्युत उत्पादन करने हेतु डैम का निर्माण होता है। डैम में पानी को जमा किया जाता है।

जल विद्युत उत्पादन का मुख्य सिद्धांत क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजलविद्युत शक्ति गिरते पानी के गुरुत्वाकर्षण से उत्पन्न होती है। जल विद्युत संयंत्र में, अधिक विद्युत शक्ति उत्पन्न की जा सकती है, यदि पानी अधिक ऊंचाई से गिरता है क्योंकि जल स्तर में वृद्धि से पानी की संभावित ऊर्जा में वृद्धि होती है।

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भारत में सबसे पुरानी जल विद्युत परियोजना कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंभारत की प्रथम जल विद्युत परियोजना कौन सी है? पहली जल विद्युत परियोजना कर्नाटक राज्य मे कावेरी नदीपर शिवासमुद्रम स्थान पर है। १. पहली जल विद्युत परियोजना कर्नाटक राज्य मे कावेरी नदी पर शिवासमुद्रम स्थान पर है।

भारत की सबसे पुरानी जल विद्युत परियोजना कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंpehli jal vidyut pariyojana kaunsi thi. शिवानासमुद्र हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट ने 1902 में और 1905 में बैंगलोर में कोलार गोल्ड फील्ड्स को बिजली की आपूर्ति की, जो बिजली की आपूर्ति करने वाला पहला भारतीय शहर बन गया।

भारत में जल विद्युत शक्ति के विकास में कौन सा राज्य अग्रणी है?

इसे सुनेंरोकेंदेश में सर्वाधिक जलशक्ति की संस्थापित क्षमता वाला राज्य आंध्र प्रदेश है। जबकि सर्वाधिक जलविद्युत का उत्पादन हिमाचल प्रदेश में होता है।

जल विद्युत का प्रमुख लाभ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजल विद्युत उत्‍पादन::- ऊर्जा देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है। जल विद्युत ऊर्जा का सस्‍ता, स्‍वच्‍छ और नवीनीकरणीय स्‍त्रोत है। जलविद्युत नवीकरणीय ऊर्जा का अति विकसित तथा किफायती संसाधन है। जलाशयों पर आधारित जल विद्युत परियोजनाएं ग्रिड को अति आवश्‍यक पीकिंग पावर उपलब्‍ध करवाती हैं।

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जल विद्युत शक्ति की अप्रत्यक्ष रूप से सौर ऊर्जा है कैसे?

इसे सुनेंरोकेंये जलवाष्प संघनित होने के बाद पुन: वर्षा-जल या बर्फ के रूप में धरती पर वापस लौट आते हैं। बहते हुए पानी की गतिज ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जाता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि जल से प्राप्त ऊर्जा एक तरह से सौर ऊर्जा का अप्रत्यक्ष स्रोत है।

भारत में पहला जल विद्युत केंद्र कहाँ और कब स्थापित किया गया था?

इसे सुनेंरोकेंइस दृष्टि से भारत का विश्व मे पांचवा स्थान है। भारत मे पहला जल विद्युत शक्ति गृह 1897 में दार्जिलिंग,पश्चिम बंगाल के सिद्रापोग मे स्थापित किया गया था। इसकी क्षमता 130 मेगावाट थी। 1902 में कर्नाटक के शिवसमुद्रम मे कावेरी नदी के तट पर 130 किलोवाट क्षमता का दूसरा जल विद्युत गृह बनाया गया।

भारत की सबसे पहली बड़ी जल विद्युत परियोजना कौन है?

इसे सुनेंरोकेंकोयना हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट भारत में सबसे बड़ा पूर्ण पनबिजली विद्युत संयंत्र है। यह कोयना नदी, महाराष्ट्र के सबसे बड़े बांध सहित चार बांधों के साथ एक जटिल परियोजना है, इसलिए इसका नाम Koyna Hydroelectric Project है।

ताप विद्युत और जलविद्युत ऊर्जा में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंGeneral Science दोनों तरीकों में अलग अलग कारक से टरबाइन को घुमाया जाता है। जल विद्युत में एक बड़े जगह पर डैम बना कर बारिश के पानी को संग्रह किया जाता है। संग्रहित पानी को ऊंचाई से टरबाइन पर गिराया जाता है जिसके कारण टरबाइन घूमता है और बिजली का उत्पादन होता है। ताप विद्युत में कोयला जला कर पानी को भाप में बदला जाता है।

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जल ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में कैसे बदला जा सकता है इसकी व्याख्या कीजिए जल ऊर्जा के दो लाभ भी लिखिए?

जल विद्युत के लाभ

  • ऊर्जा का एक नवीकरण योग्य स्रोत – दुर्लभ ईंधन संसाधनों की रक्षा करता है।
  • प्रदूषण रहित और इसलिए पर्यावरण अनुकूल।
  • दीर्घकालिक – वर्ष 1897 में दार्जिलिंग में पूर्ण की गई पहली जल विद्युत परियोजना अभी तक प्रचालनरत है।
  • ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तुलना में उत्पादन, प्रचालन तथा अनुरक्षण की लागत कम है।

जल विद्युत ऊर्जा कैसे काम करती है?

इसे सुनेंरोकेंजल विद्युत संयंत्र के लिये बांध बनाकर , उसमे संचित जल की स्थितिज ऊर्जा बढ़ा ली जाती है। जल को ऊँचाई से गिराकर उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रुपान्तरित की जाती है , जिसकी सहायता से विद्युत जनित्र का टरबाइन घूमने लगता है। टरबाइन से गतिज ऊर्जा प्राप्त कर सम्बद्ध जनित्र विद्युत ऊर्जा का उत्पादन करता है ।

कोलाल पावर विद्युत परियोजना कहाँ है?

पावर स्टेशन की स्थापना का स्थल मैसूर शहर के पूर्व में और बैंगलोर के दक्षिण में कावेरी पर एक बिंदु था जहां नदी शिवनासमुद्रम के द्वीप को दो भागों में विभाजित करती हैपावर स्टेशन पर काम 1902 तक पूरा हुआ और उसी साल 30 जून को कोलार गोल्ड फील्ड्स में पहली बार बिजली का संचार हुआ।

भारत की सबसे पहली जल विद्युत परियोजना कौन सी है?

भारत में जल विद्युत परियोजना पहली जल विद्युत परियोजना कर्नाटक राज्य में कावेरी नदीपर शिवासमुद्रम स्थान पर है। महाराष्ट्र के मुम्बई में पश्चिमी घाट पर टाटा जल विद्युत परियोजना है।

भारत की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना कौन सी है?

1500 मेगावाट क्षमता का नाथपा झाकड़ी जलविद्युत स्टेशन देश का सबसे बड़ा जलविद्युत प्लांट है। नाथपा झाकड़ी प्लांट प्रति वर्ष 6950.88 (6612) मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन करने के लिए डिजाइन किया गया है। परंतु प्लांट को गुणवत्ता प्रबंधन ने वार्षिक लक्ष्यों से अधिक विद्युत उत्पादन करने में सक्षम बनाया है।

एशिया की सबसे बड़ी विद्युत परियोजना कौन सी है?

सतलुज पर एशिया की सबसे बड़ी नाथपा-झाकड़ी विद्युत परियोजना का बांध बन जाने के कारण 29 सितंबर, 2009 के बाद यहां से आगे झाकड़ी, जो शिमला जिला की रामपुर तहसील में पड़ता है, तक 27 किलोमीटर सतलुज को अपना रास्ता छोड़कर सुरंग के रास्ते जाना पड़ता है…

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