बता दें कि आमतौर पर कूल्हों के दर्द की समस्या बुजुर्गों में देखी जाती है। लेकिन जब किसी के शरीर में हड्डियों में फ्लूइड की कमी होने लगती है तो इस कारण भी कूल्हे में दर्द रहना शुरू हो जाता है। इसके कारण ना केवल हड्डियों में रगड़ शुरू होने लगते हैं बल्कि हड्डियां कमजोर भी होने लगती हैं, जिसके कारण उनके टूटने की संभावना बढ़ जाती है।
कूल्हों में दर्द के कारण
जैसा कि हमने पहले भी बताया कूल्हों में दर्द फ्लूइड की कमी के कारण हो सकता है। इससे अलग कुछ और भी कारण हैं जो कूल्हे के दर्द के लिए जिम्मेदार माने जा सकते हैं यह कारण निम्न प्रकार हैं-
1 - जब किसी व्यक्ति के हिप्स जॉइंट में इंफेक्शन हो जाता है तब भी यह समस्या हो सकती है।
2 - जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक स्मोकिंग करता है या स्टेरॉइड्स का सेवन करता है तब भी यह समस्या हो सकती है।
3 - किसी पुरानी चोट के दर्द के कारण या फ्रैक्चर हो जाने के कारण भी कूल्हों में दर्द हो सकता है।
4 - जो लोग गठिया की समस्या से ग्रस्त हैं उन लोगों में हिप्स के दर्द की समस्या रहती है।
5 - हिप्स के दर्द के पीछे ओस्टियोआर्थराइटिस भी जिम्मेदार है।
6 - जो व्यक्ति की उम्र 40 साल हो जाती है तो उसके बाद हड्डियां खुद-ब-खुद कमजोर होना शुरू हो जाती हैं। चिकित्सक भाषा में कहा जाए तो बोन डेंसिटी के कारण भी हिप्स में दर्द रह सकता है।
7 - हर्निया से ग्रस्त लोग हिप्स के दर्द की समस्या से परेशान हो सकते हैं। हालांकि यह सबके साथ नहीं होता।
8 - जिन लोगों के शरीर में विटामिन डी के साथ-साथ कैल्शियम की कमी हो जाती है तब भी हिप्स में दर्द रह सकता है।
9 - जो लोग गलत पोश्चर में बैठते हैं उनके शरीर में दर्द रह सकता है।
10 - कुछ लोगों की आदत होती है कि वह जरूरत से ज्यादा मीठे का सेवन करते हैं वह भी कूल्हे के दर्द का सामना कर सकते हैं।
11 - अगर व्यक्ति की नस दब जाए तब भी कूल्हों में दर्द हो सकता है।
12 - जो लोग जरूरत से ज्यादा टाइट कपड़े पहन लेते हैं उसके कारण भी हिप्स में दर्द रह सकता है।
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हिप्स में दर्द के कारण के साथ दिखने वाले लक्षण
व्यक्तियों को हिप्स में दर्द के साथ-साथ कुछ अन्य लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं-
1 - कमर में सूजन
2 - हिप्स में सूजन
3 - जांघो का दर्द
4 - झुकने के दौरान तकलीफ महसूस करना
डायग्नोसिस क्या है?
बता दें कि कूल्हे के दर्द के लिए डॉक्टर एक्स रे, सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन, अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट की मदद लेते हैं। इसके अलावा डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री से भी पता लगाते हैं कि कूल्हों में दर्द क्यों हो रहा है।
कूल्हों में दर्द का उपचार
कूल्हों में दर्द यदि किसी आम कारण से हो रहा है तो निम्न उपायों को अपनाकर इस समस्या को ठीक किया जा सकता है-
1 - थोड़ा समय धूप में खड़े रहें, जिससे शरीर को विटामिन डी मिल सके।
2 - नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। इसके लिए आप वाकिंग का भी सहारा ले सकते हैं।
3 - शरीर में उर्जा बनाए रखने के लिए योगा करें।
4 - अपने वजन को नियंत्रित रखें।
5 - अपनी डाइट में विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ, कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इससे अलग विटामिन ई का भी सेवन कर सकते हैं।
6 - कच्चे लहसुन की कली से भी दर्द को दूर किया जा सकता है।
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नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि कूल्हे का दर्द आम और गंभीर दोनों कारणों के कारण हो सकता है। ऐसे में सबसे पहले इसके कारणों का पता लगाएं उसके बाद तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर कूल्हे के दर्द को दूर करें।
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नई दिल्ली : आप को बता दें कि आमतौर पर कूल्हों के दर्द की समस्या बुजुर्गों में देखी जाती है। लेकिन जब किसी के शरीर में हड्डियों में फ्लूइड की कमी होने लगती है तो इस कारण भी कूल्हे में दर्द रहना शुरू हो जाता है। इसके कारण ना केवल हड्डियों में रगड़ शुरू होने लगते हैं बल्कि हड्डियां कमजोर भी होने लगती हैं जिसके कारण उनके टूटने की संभावना बढ़ जाती है।आज हम आप को कूल्हो में दर्द के साथ और क्या क्या लक्षण नजर आ सकते हैं और इसका इलाज कैसे किया जाए। इन दोनों के बारे में भी जानेंगे।
यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से कुबड़ा होकर बैठता है, तो ऐसे लोगों को कूल्हे में दर्द अक्सर रहेगा। हिप्स के लिए प्रॉपर सपोर्ट के बिना बैठने से हिप्स पर दबाव पड़ता है और यह तनाव समय के साथ दर्द पैदा कर सकता है।
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असमान सतह पर बैठना
कई बार असमान सतह पर बैठने से शरीर का झुकाव एक तरफ होने लगता है, जिस वह से आप हिप पेन का अनुभव कर सकते हैं।
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बैठने की स्थिति
यदि कोई व्यक्ति क्रॉस लैग करके बैठे या फिर एक तरफ झुककर बैठे , तो उसके एक तरफ के कूल्हे पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिससे उसे कूल्हों में दर्द की शिकायत होने लगती है।
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साइटिका-
अधिक भारी वजन उठाने से यह समस्या हो सकती है। साइटिका नसों में होने वाला एक ऐसा दर्द है, जो कमर के निचले हिस्से से शुरू होकर घुटनों के नीचे तक चला जाता है। इस दौरान कई लोग गंभीर जलन या दर्द का अनुभव करते हैं। साइटिका जैसी स्थिति से बचने के लिए व्यायाम, स्ट्रेचिंग और पेन रिलीव बढिया काम करते हैं।
आर्थराइटिस
गठिया एक पुरानी स्थिति है, जिससे हड्डियां आपस में रगड सकती हैं। इससे दर्द, कठोरपन का अनुभव होगा। इससे बचने के लिए नियमित रूप से व्यायाम आरै वजन कम करने की सलाह दी जाती है।