कला और कलाकार का सम्मान करना हमारा दायित्व है, इस कथन पर अपने विचारों को शब्दबद्ध - kala aur kalaakaar ka sammaan karana hamaara daayitv hai, is kathan par apane vichaaron ko shabdabaddh

‘कला और कलाकार का सम्‍मान करना हमारा दायित्‍व है’, इस कथन पर अपने विचारों काे शब्‍दबद्ध कीजिए।

हमारे देश की संस्कृति में लोक कलाओं की सशक्त पहचान रही है। ये मूलतः ग्रामीण अंचलों में अनेक जातियों व जनजातियों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी संरक्षित पारंपरिक कलाएँ हैं। लोक कला का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना कि भारतीय ग्रामीण सभ्यता का। लोक कथाओं में लोकगीत, लोकनृत्य, गायन, वादन, अभिनय, मूर्तिकला, काष्ठ कला, धातु कला, चित्रकला, हस्तकला आदि का समावेश होता है। हस्तकला ऐसे कलात्मक कार्य को कहते हैं, जो उपयोगी होने के साथ-साथ सजाने के काम आता था जिसे मुख्यतः हाथ से या साधारण औजारों की सहायता से ही किया जाता है। ऐसी कलाओं का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व होता है। वर्तमान में लोक कलाओं और कलाकारों को उचित प्रश्रय न मिलने के कारण अनेक लोक कलाओं पर संकट उत्पन्न हो गया है। धीरे-धीरे समय परिवर्तन, भौतिकतावाद, पश्चिमीकरण तथा आर्थिक संपन्नता के कारण परंपरागत लोक कलाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जनता व प्रशासन दोनों को ही लोक कलाओं और कलाकारों की पहचान नष्ट होने से बचाने के प्रयास करने चाहिए।

कला और कलाकार का सम्मान क्यों करना चाहिए?

Answer: एक कलाकार समाज में एक बहुत महत्वपूर्ण होता का निर्वहन करता है। उसके कलर से समाज सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनता है। यदि हम कला और कलाकारों का सम्मान करेंगे तभी हम अपने देश की धरोहर को भावी पीढ़ी के लिए सहेज कर रख पाएंगे।

कला का क्या करना एक सच्चे कलाकार का परम कर्तव्य होता है *?

गुरु से कला की जानकारियां प्राप्त करते-करते अपनी कला में वह प्रवेश होता है। सच्चा कलाकार किसी कला को सीखने की प्रक्रिया में होने वाली कठिनाइयों से परिचित होता है। इसलिए उसके दिल में अन्य कलाकारों के लिए सदा सम्मान की भावना होती । वह छोटे-बड़े हर कलाकार को समान समझता है और उनकी कला का सम्मान करता है।

कलाकार क्या विशिष्ट व्यक्ति होते हैं या आप और हम भी कलाकार हो सकते हैं आपस में विचार कर लिखिए?

कलाकार वह व्यक्ति होता है, जो कलाकृति बनाने, कला का अभ्यास या प्रदर्शन करने से संबंधित किसी गतिविधि में प्रवृत्त होता है। किंतु रोजमर्रा के भाषण और शैक्षणिक प्रवचन दोनों में इस शब्द का उपयोग सामान्यतः दृश्य कला के संदर्भ में होता है।

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