जन्माष्टमी का व्रत कैसे खोला जाता है - janmaashtamee ka vrat kaise khola jaata hai

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Authored by Parag sharma | नवभारतटाइम्स.कॉमUpdated: Aug 18, 2022, 8:46 PM

भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन या जन्माष्टमी के दिन बहुत से श्रद्धालु भक्त व्रत रखकर कान्हा की पूजा करते हैं। इस दिन व्रत रखने के क्या हैं नियम और श्रीकृष्ण की पूजा का विधि आइए इसे जानें विस्तार से।

Happy Krishna Janmashtami

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Janmashtami 2022 Vrat Vidhi Niyamभगवान कृष्ण का जन्मदिवस यानी जन्माष्टमी 18 अगस्त को देश भर में मनाया जाएगा। जबकि श्रीकृष्ण जन्मोत्सव 19 अगस्त को मनाया जाएगा। जन्माष्टमी के दिन वृद्धि और ध्रव योग वर्तमान रहेगा। इस योग में श्रीकृष्ण का पूजन और व्रत करना व्रतियों के लिए बहुत ही पुण्यदायी होगा। आइए जानते हैं किस तरह से रखना चाहिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत।

इस तरह रखें जन्माष्टमी का व्रत
जिस तरह एकादशी के व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से हो जाती है, उसी तरह जन्माष्टमी के व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि से हो जाती है। सप्तमी तिथि के दिन से ही तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, बैंगन, मूली आदि का त्याग कर देना चाहिए और सात्विक भोजन करने के बाद ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। जन्माष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सुबह स्नान व ध्यान से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें और जन्माष्टमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद ”ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सवार्भीष्ट सिद्धये, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये।।” मंत्र का जप करना चाहिए। इस दिन आप फलाहार और जलाहार व्रत रख सकते हैं लेकिन सूर्यास्त से लेकर कृष्ण जन्म तक निर्जल रहना होता है। व्रत के दौरान सात्विक रहना चाहिए। वहीं शाम की पूजा से पहले एक बार स्नान जरूर करना चाहिए।

कान्हा के पूजन का 12:03 से 12:47 तक होगा मुहूर्त
जन्माष्टमी वाले दिन निशीथ काल में बाल गोपाल की पूजा का शुभ मुहूर्त इस बार शुक्रवार को रात 12:03 बजे से रात 12:47 मिनट तक रहेगा। जन्माष्टमी के दिन इस बार रोहिणी नक्षत्र नहीं है। अबकी बार कृतिका नक्षत्र 18 अगस्त रात 11 बजकर 35 मिनट पर लगेगी और 19 तारीख की रात 1 बजकर 53 तक रहेगी। कृतिका नक्षत्र में ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

इस तरह करें जन्माष्टमी की पूजा
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में हुआ था इसलिए धार्मिक मान्यता है कि जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना मध्य रात में करनी चाहिए। ऐसे में जन्माष्टमी के दिन व्रत रखते हुए भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की आराधना करें। मूर्ति स्थापना के बाद उनका गाय के दूध और गंगाजल से अभिषेक करें। फिर उन्हें मनमोहक वस्त्र पहनाएं। मोर मुकुट, बांसुरी, चंदन, वैजयंती माला, तुलसी दल आदि से उन्हें सुसज्जित करें। फूल, फल, माखन, मिश्री, मिठाई, मेवे, धूप, दीप, गंध आदि भी अर्पित करें। फिर सबसे अंत में बाल श्रीकृष्ण की आरती करने के बाद प्रसाद का वितरण करें।

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कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत कैसे खोला जाता है?

जन्माष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद सभी देवताओं को प्रणाम करें और फिर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठ जाएं. इसके बाद फल और फूल हाथ में लेकर व्रत का संकल्प लें. अपने ऊपर काले तिल मिलाकर जल छिड़कें. अब देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी जी का नाम लेकर पूजा करें.

जन्माष्टमी व्रत में पानी कब पीना चाहिए?

जन्माष्टमी के दिन व्रत करने वाले जातक दिनभर फलाहार व जल ग्रहण कर सकते हैं. लेकिन ध्यान रखें कि इस दिन सूर्यास्त के बाद पानी नहीं पीना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी के दिन सूर्यास्त के बाद जल ग्रहण करना वर्जित होता है. रात 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म होने के बाद ही जल ग्रहण किया जा सकता है.

जन्माष्टमी का व्रत कब खोलना चाहिए?

19 अगस्त को जन्माष्टमी व्रत रखने वाले 20 अगस्त को शुभ मुहूर्त में व्रत खोलें. जन्माष्टमी व्रत का पारण अष्टमी तिथि के समापन के बाद किया जाता है, हालांकि कुछ जगह रात्रि में बाल गोपाल की पूजा करके व्रत का पारण कर लेते हैं. आपकी मान्यता अनुसार व्रत का पारण करें.

जन्माष्टमी का व्रत में क्या खाना चाहिए?

जन्माष्टमी के व्रत में क्या खाना चाहिए?.
जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले लोगों को उचित आहार का सेवन करना चाहिए, जिससे आप स्वयं को पुरे दिन एनर्जेटिक बनाये रख सके और धूमधाम इस त्यौहार का आनंद उठा पाएं। जन्माष्टमी का व्रत कई लोगों द्वारा रखा जाता है। ... .
कुट्टू की खिचड़ी ... .
मखाने ... .
फल ... .
साबूदाना ... .
दूध ... .
दही ... .
सिंघारे के आटे का समोसा.

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