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Authored by Parag sharma | नवभारतटाइम्स.कॉमUpdated: Aug 18, 2022, 8:46 PM
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन या जन्माष्टमी के दिन बहुत से श्रद्धालु भक्त व्रत रखकर कान्हा की पूजा करते हैं। इस दिन व्रत रखने के क्या हैं नियम और श्रीकृष्ण की पूजा का विधि आइए इसे जानें विस्तार से।
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कान्हा के पूजन का 12:03 से 12:47 तक होगा
मुहूर्त इस तरह करें जन्माष्टमी की पूजा
इस तरह रखें जन्माष्टमी का व्रत
जिस तरह एकादशी के व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से हो जाती है, उसी तरह जन्माष्टमी के व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि से हो जाती है। सप्तमी तिथि के दिन से ही तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, बैंगन, मूली आदि का त्याग कर देना चाहिए और सात्विक भोजन करने के बाद ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
जन्माष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सुबह स्नान व ध्यान से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें और जन्माष्टमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद ”ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सवार्भीष्ट सिद्धये, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये।।” मंत्र का जप करना चाहिए। इस दिन आप फलाहार और जलाहार व्रत रख सकते हैं लेकिन सूर्यास्त से लेकर कृष्ण जन्म तक निर्जल रहना होता है। व्रत के दौरान सात्विक रहना चाहिए। वहीं शाम की पूजा से पहले एक बार स्नान जरूर करना चाहिए।
जन्माष्टमी वाले दिन निशीथ काल में बाल गोपाल की पूजा का शुभ मुहूर्त इस बार शुक्रवार को रात 12:03 बजे से रात 12:47 मिनट तक रहेगा। जन्माष्टमी के दिन इस बार रोहिणी नक्षत्र नहीं है। अबकी बार कृतिका नक्षत्र 18 अगस्त रात 11 बजकर 35 मिनट पर लगेगी और 19 तारीख की रात 1 बजकर 53 तक रहेगी। कृतिका नक्षत्र में ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में हुआ था इसलिए धार्मिक
मान्यता है कि जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना मध्य रात में करनी चाहिए। ऐसे में जन्माष्टमी के दिन व्रत रखते हुए भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की आराधना करें। मूर्ति स्थापना के बाद उनका गाय के दूध और गंगाजल से अभिषेक करें। फिर उन्हें मनमोहक वस्त्र पहनाएं। मोर मुकुट, बांसुरी, चंदन, वैजयंती माला, तुलसी दल आदि से उन्हें सुसज्जित करें। फूल, फल, माखन, मिश्री, मिठाई, मेवे, धूप, दीप, गंध आदि भी अर्पित करें। फिर सबसे अंत में बाल
श्रीकृष्ण की आरती करने के बाद प्रसाद का वितरण करें।
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