हारमोंस बढ़ने से क्या दिक्कत होती है? - haaramons badhane se kya dikkat hotee hai?

हार्मोन बढ़ने से 'बांझपन' से मुक्ति?

  • पिप्पा स्टीफंस
  • स्वास्थ्य संवाददाता, बीबीसी न्यूज़

4 मई 2014

अपडेटेड 5 मई 2014

इमेज स्रोत, PA

शरीर में पाए जाने वाले प्रमुख हार्मोनों के मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में किए गए एक नए शोध से बांझपन के इलाज में मदद मिलने की संभावना है. यह शोध ब्रितानी वैज्ञानिकों के एक दल ने किया है.

लंदन के इंपीरियल कॉलेज की टीम ने ऐसी पांच महिलाओं का अध्ययन किया है जिन्हें हाइपोथैलमिक एमनेरिया (एचए) की दिक्क़त थी. यह समस्या एथलीटों में आमतौर पर पाई जाती है. इसमें महिला का मासिक स्त्राव बंद हो जाता है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि दिमाग़ को उत्तेजित करने से किसपेप्टिन हार्मोन का उत्सर्जन बढ़ जाता है और इस हार्मोन की मात्रा बढ़ने से प्रजनन क्षमता बढ़ सकती है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस शोध का दायरा छोटा है लेकिन इससे एक महत्वपूर्ण अवधारणा की पुष्टि होती है.

वैज्ञानिकों ने इस बात पर ग़ौर किया कि एचए से पीड़ित महिलाओं में किसपेप्टिन और अन्य प्रजनन संबंधी हार्मोन में कम हो जाते हैं. इसकी वजह से उनके मासिक चक्र में दिक्कत आती है और उनमें बांझपन की समस्या पैदा हो जाती है.

तनाव या अरुचि

ब्रिटेन में प्रत्येक 100 महिलाओं में से एक और प्रत्येक 10 पेशेवर महिला एथलीटों में से एक को एचए की समस्या होती है.

एथलीटों के साथ-साथ यह समस्या उन महिलाओं में आमतौर पर पाई जाती है जो अक्सर तनाव में रहती हैं या जिनमें भोजन के प्रति अरुचि होती है.

इन महिलाओं में हाइपोथैलमस सही तरीक़े से हार्मोन पैदा करना बंद कर देता है. हाइपोथैलमस दिमाग़ का एक ऐसा हिस्सा है जो मासिक धर्म को नियंत्रित करता है. हालांकि इस निष्क्रिय होने की पूरी तरह सटीक की जानकारी अब तक नहीं मिली है.

इस टीम ने हाइपोथैलेपस से बने दो हार्मोन किसपेप्टिन और ल्यूटेनाइज़िंग हार्मोन (एलएच) का अध्ययन किया.

वैज्ञानिकों का कहना है कि किसपेप्टिन दिमाग़ में एलएच बनाने की रफ़्तार को तेज़ करता है.

लेकिन अगर शरीर में एलएच के साथ ही अन्य हार्मोन में कमी आए तो महिलाओं के गर्भ में अंडा बनना और मासिक स्त्राव बंद हो सकता है.

एचए की समस्या का तालुक्क एलएच के कम स्तर से जुड़ा है जो बांझपन का कारण बन सकता है.

लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि पॉलीसिस्टिक अंडाशय की तरह एचए बांझपन का कारण उतना सामान्य नहीं है.

मिश्रित उपचार

वैज्ञानिकों ने छह से आठ घंटे के सत्र के दौरान एचए से पीड़ित पांच महिलाओं को विभिन्न मात्रा में किसपेप्टिन दी.

उन्होंने अपने शोध में 24 से 31 साल की महिलाओं को शामिल किया. इस शोध की रिपोर्ट जर्नल ऑफ क्लिनिकल इंडोक्रिनियोलॉजी ऐंड मेटाबॉलिज़्म में प्रकाशित हुई थी.

महिलाओं को विभिन्न मात्रा में किसपेप्टिन दी गई और उनके एलएच की मात्रा को हर 10 मिनट पर रक्त के नमूने लेकर मापा गया.

पहले के नियंत्रण परीक्षण के साथ तुलनात्मक अध्ययन किया गया जहां मरीज़ों को एक प्रायोगिक औषधि दी गई और उसे समान तरीके से मापा गया.

शोधकर्ताओं का कहना है कि किसपेप्टिन की मात्रा बढ़ने से एलएच के स्तर में भी बढ़ोतरी हुई और इससे ख़ून में एलएच के जाने की रफ़्तार में भी तेज़ी आई.

उनका कहना था कि किसपेप्टिन एलएच की गति को बढ़ाने के लिए तंत्रिकाओं को ज़्यादा सक्रिय कर सकता है.

प्रमुख शोधकर्ता डॉ. चन्ना जयासेना का कहना है कि यह एक "यह छोटा, अवधारणात्मक अध्ययन था. प्रजनन क्षमता पर इसका असर देखने के लिए व्यापक अध्ययन की ज़रूरत होगी."

उन्होंने कहा, "हमने कम वक़्त में यह दिखाया है कि कुछ निश्चित ख़ुराक के साथ चार दफ़ा किसपेप्टिन देने से एलएच की रफ़्तार को बरक़रार रख सकते हैं जो महिला में प्रजनन के लिए आवश्यक होता है."

'नया दृष्टिकोण'

जयासेना कहते हैं, "शोध का दीर्घकालिक मक़सद यह तय करना है कि महिला बांझपन के कुछ रूपों का इलाज करने के लिए किसपेप्टिन का इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं.

वे कहते हैं, "अगर यह व्यवहारिक है तो यह आईवीएफ के लिए एक आकर्षक और संभवतः कम महंगा विकल्प साबित हो सकता है."

न्यूकैसल फर्टिलिटी सेंटर फॉर लाइफ की डॉ. जेन स्टीवर्ट का कहना है कि इस शोध से एक अपेक्षाकृत असामान्य समस्या के इलाज लिए एक 'रोचक और नया दृष्टिकोण' सामने आया है.

वे कहती हैं, "साफ़तौर पर इस शोध से इन महिलाओं पर दिखने वाले प्रभाव, इनके गर्भाशय में अंडा तैयार होने और जन्म देने के लक्ष्य का मूल्यांकन करने की ज़रूरत है."

डॉ. स्टीवर्ट मानते हैं, "यह बेहद खुशी की बात है कि शोधकर्ता नए उपचार पर विचार करने के लिए नई जानकारियों की मदद ले रहे हैं."

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स्टोरी हाइलाइट्स

  • शरीर में नजर आने वाले कुछ लक्षण हार्मोनल इम्बैलेंस का संकेत
  • दवाओं या बीमारियों से भी शरीर के हार्मोन्स पर असर

शरीर में हार्मोन से जुड़ी समस्याओं को समझ पाना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं है. लेकिन शरीर में हो रहे बदलावों पर बारीकी से नजर रखी जाए तो इसकी आसानी से पहचान की जा सकती है. डॉक्टर्स कहते हैं कि शरीर में नजर आने वाले कुछ लक्षण हार्मोनल इम्बैलेंस के बारे में बताते हैं.

हार्मोन वो कैमिकल मैसेंजर होते हैं जो खून के जरिए उन्हें विभिन्न कार्यों के लिए सीधे शरीर के अंगों और ऊतकों तक ले जाते हैं. नींद को रेगुलेट करने, मेटाबॉलिज्म, मूड और रीप्रोडक्टिव साइकिल में हार्मोन की अहम भूमिका होती है. जीवन के अलग-अलग चरणों जैसे प्रेग्नेंसी, पीरियड या मीनोपॉज से पहले तक शरीर में हार्मोन्स का लेवल अलग-अलग हो सकता है. कुछ दवाएं, इलाज या सेहत से जुड़ी समस्याएं भी शरीर में हार्मोन्स को प्रभावित कर सकती हैं.

हार्मोन में गड़बड़ी के लक्षण
मूड स्विंग, नींद के पैटर्न में बदलाव (इंसोमेलिया), याद्दाश्त से जुड़ी दिक्कत, हर वक्त थकावट महसूस होना, सिरदर्द या डाइजेशन से जुड़ी समस्या हार्मोन में खराबी का संकेत हो सकते हैं. इसके अलावा मांसपेशियों से जुड़ी दिक्कत भी हार्मोन में गड़बड़ी का संकेत हो सकती है.

साइकोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट टिम ग्रे कहते हैं कि हार्मोन से जुड़ी समस्या में इन्फ्लेमेशन को नजरअंदाज करना बड़ी भूल है. यह आपके इम्यून सिस्टम के साथ खिलवाड़ करती है और शरीर में कोर्टिसोल लेवल को बढ़ाने का काम करती है. बहुत ज्याद स्ट्रेस, खराब नींद, प्रोसेस्ड या शुगर फूड इस इन्फ्लेमेशन को बढ़ावा देने का काम करते हैं.

इनफ्लेमेशन पर कंट्रोल
हार्मोनल इम्बैलेंस की वजह से बढ़ने वाली इन्फ्लेमेशन को रोकने के लिए नैचुरल डाइट, पर्याप्त नींद और खान-पान व नियमित एक्सराइज के लिए शेड्यूल तय करना बहुत जरूरी है. सूर्योदय के बाद नीली रोशनी को पूरी तरह ब्लॉक रखें. इससे शरीर में इन्फ्लेमेशन का स्तर कम करने वाले एंटीऑक्सीडेंट मेलाटोनिन का निर्माण होता है. साथ ही आप बेहतर नींद ले पाते हैं. तनाव मुक्त रहने और इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के लिए मेडिटेशन कीजिए. साथ ही शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए अच्छे से पानी पीजिए.

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हारमोंस बढ़ने के क्या लक्षण है?

हार्मोन में असंतुलन के लक्षण.
अचानक वजन बढ़ना, कमर पर चर्बी बढ़ना..
हर समय थकान महसूस करना..
नींद कम आना या बिल्कुल नींद न आना..
गैस, कब्ज और बदहजमी होना..
तनाव, चिंता और चिड़चिड़ापन का बढ़ना..
बहुत पसीना आना, सेक्स की इच्छा में कमी..
बालों का झड़ना, असमय सफेद होना तथा दाढ़ी घनी ना आना इत्यादि..

हार्मोन बढ़ जाने पर क्या करना चाहिए?

खाद्य पदार्थों के साथ हार्मोन को संतुलित करने के कुछ तरीके यहां दिए गए हैं.
हर मील में स्वस्‍थ प्रोटीन का सेवन करें:.
स्वस्थ वसा की एक मध्यम राशि का उपभोग करें.
ओमेगा -3 फैट खाएं.
मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ खाए.
कैफीन का सेवन सीमित करें.
थायराइड बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें.
प्लास्टिक को न कहें:.

हारमोंस की जांच कैसे की जाती है?

ताकत महसूस ना करना टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी के कारण पुरुषों को मांसपेशियों में ताकत महसूस नहीं होती है। जो पुरुष सामान्य स्थिति में बेहतर महसूस कर रहे होते हैं] वह टेस्टोस्टेरोन लेवल के कम होने पर ताकत महसूस नहीं करते। ऐसी स्थिति में पुरुषों की मांसपेशियां कमजोर होने लग जाती हैं।

महिलाओं में हार्मोन असंतुलन को कैसे ठीक करें?

अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की तरह, हार्मोन असंतुलन का इलाज स्वस्थ खान-पान और हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाकर किया जा सकता है। कुछ लोग अपने हॉर्मोन में असंतुलन के लिए डॉक्टर को दिखाना सही समझते हैं। हालांकि, यही सबसे सही तरीका है, लेकिन आपको यह भी पता होना चाहिए कि हॉर्मोन्स को प्राकृतिक रूप से भी संतुलित किया जा सकता है।

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