हनुमान जी कौन सा पर्वत उठा कर लाए थे? - hanumaan jee kaun sa parvat utha kar lae the?

जीवन के हर पड़ाव पर साथ देने वाले श्रीराम के भाई लक्ष्मण युद्धभूमि पर मूर्च्छित पड़े थे. युद्ध भूमि पर प्रभु श्रीराम के खेमे में शोक और शांति छाई हुई थी. प्रभु श्रीराम अपने भाई की मरणासन्न दशा देखकर लगातार आंसू बहाए जा रहे थे. तभी विभीषण ने सूरसेन नामक वैध को बुलाने का परामर्श दिया. सूरसेन को बुलाने पर उन्होंने हिमालय पर्वत की गोद में ऐसी जड़ी-बूटी लाने का सुझाव दिया जिससे लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की जा सकती थी. अपने प्रभु श्रीराम के दुख का निवारण करने के लिए पवनपुत्र हनुमान चल दिए संजीवनी बूटी की खोज में.

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हनुमान जी ने कौनसा पर्वत उठाया?

इतना ही नहीं हनुमान जी ने द्रोणागिरी पर्वत ले जाते समय पहाड़ देवता की दाईं भुजा भी उखाड़ दी थी। रामायण में संजीवनी बूटी द्वारा लक्ष्मण के प्राण बचाने के प्रसंग को हम सभी बखबूी जानते हैं। हनुमान लंका से संजीवनी लेने के लिए हिमालय पर्वत पर आए थे और यहीं से वो संजीवनी बूटी नहीं बल्कि पूरा पहाड़ ही उठाकर ले गए थे।

संजीवनी बूटी वाले पर्वत का नाम क्या है?

रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है ये यह चर्चित पहाड़ श्रीलंका के पास रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है.

हनुमान जी ने संजीवनी के लिए कौन सा पर्वत उठाया था?

हनुमान जी जिस पर्वत को उठाकर ले आए थे, वो आज भी चर्चित है। श्रीलंका में इस पर्वत को रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि आज भी इस पर्वत पर संजीवनी बूटी पाई जाती है। इसी के साथ श्री लंका में दक्षिणी समुद्री किनारे पर कई स्थानों पर हनुमान जी द्वारा लाए गए पहाड़ के टुकड़े पड़े हैं।

हनुमान जी ने औषधियों का कौनसा पर्वत उठाकर लाया था?

कहा जाता है कि जब हनुमान जी यहां पहुंचे तो गांव में उन्हें एक वृद्धा दिखाई दी। उन्होंने पूछा कि संजीवनी बूटी किस पर्वत पर होगी। वृद्धा ने द्रोणागिरि पर्वत की तरफ इशारा कर दिया। हनुमान जी पर्वत पर गए लेकिन संजीवनी बूटी की पहचान नहीं कर पाए और पर्वत के काफी बड़े हिस्से को तोड़कर ले गए।

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