हमें सत्य में जीना चाहिए सत्य केवल वर्तमान है स्पष्ट कीजिए लेखक ने ऐसा क्यों कहा है? - hamen saty mein jeena chaahie saty keval vartamaan hai spasht keejie lekhak ne aisa kyon kaha hai?

इसका आशय है कि लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है। वर्तमान में जीना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि ऐसा करने से स्वास्थ्य ठीक रहता है और जीवन में उन्नति होती है। यदि हम भूतकाल के लिए पछताते रहेंगे या भविष्य की योजनाएँ ही बनाते रहेंगे, तो दोनों बेमानी या निरर्थक हो जाएँगे। हम भूतकाल से शिक्षा लेकर तथा भविष्य की योजनाओं को वर्तमान में ही परिश्रम करके कार्यान्वित कर सकते हैं। भगवान कृष्ण ने ‘गीता’ में भी वर्तमान में ही जीने का संदेश दिया है ताकि मनुष्य तनाव रहित मुक्त रहकर स्वस्थ तथा खुशहाल जीवन बिता सके।

''हमें सत्य में जीना चाहिए, सत्य केवल वर्तमान है।'' 'पतझर में टूटी पत्तियाँ' के इस कथन को स्पष्ट करते हुए लिखिए कि लेखक ने ऐसा क्यों कहा है? 

लेखक के अनुसार असल में वर्तमान ही सत्य है| वही हमारे सामने है|  भूत भी चुका है, भविष्य आने वाला है |बीते समय में लौटा नहीं जा सकता| भविष्य में जाया नहीं जा सकता | अतः सामने घट रहा है| वही सत्य है एक समझदार मनुष्य  एक  समझदार मनुष्य को उसी में जीना चाहिए |इसी प्रकार हमें सरलतापूर्वक आगे बढ़ते हुए जीवन जीना चाहिए| लेखक कहता है कि प्राया लोग बीते दिनों की यादों में दुखी रहते हैं और भविष्य के  चिंताओं में   उलझे रहते हैं| इस तरह हम भूत या भविष्य के भंवर में घिरे रहते हैं। यदि ध्यान दिया जाए, तो बीते कल की यादें दुख देती हैं और आने वाले भविष्य की चिंता हमारे दुख को और भी बढ़ा देती है। इसलिए वर्तमान में जीने में ही लाभ है|

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निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?

जापानी में चाय पीने की विधि को 'चा-नो-यू' कहते हैं जिसका अर्थ है - 'टी-सेरेमनी' और चाय पिलाने वाला 'चाजिन' कहलाता है। 

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निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?

शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग इसलिए होता है क्योंकि इसमें किसी प्रकार की मिलावट नही की जाती। यह पूरी तरह शुद्ध होता है गिन्नी के सोने में थोडा-सा ताँबा मिलाया होता है, इसलिए वह ज्यादा चमकता है और शुद्ध सोने से मजबूत भी होता है।  

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निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?

पाठ के सन्दर्भ में शुद्ध आदर्श वह है जिसमें लाभ-हानि की गुंजाइश नहीं होती है। अर्थात् शुद्ध आदर्शों पर व्यावहारिकता हावी नहीं होती। जिसमें पूरे समाज की भलाई छिपी हुई हो तथा जो समाज के शाश्वत मूल्यों को बनाए रखने में सक्षम हो, वही शुद्ध आदर्श है।

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निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?

प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट उन्हें कहते हैं जो लोग आदर्श बनते हैं और व्यवहार के समय उन्हीं आर्दशों को तोड़ मरोड़ कर अवसर का लाभ उठाते हैं। 

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निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
लेखक ने जापानियों के दिमाग में 'स्पीड' का इंजन लगने की बात क्यों कही है?

जापानी लोग उन्नति की होड़ में सबसे आगे हैं। वे महीने का काम एक दिन में करने का सोचते हैं। इसलिए लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड का इंजन लगने की बात कही है।

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Short Note

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों मेंलिखिए
लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? स्पष्ट कीजिए।

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Solution

लेखक के अनुसार सत्य वर्तमान है। उसी में जीना चाहिए। हम अक्सर या तो गुजरे हुए दिनों की बातों में उलझे रहते हैं या भविष्य के सपने देखते हैं। इस तरह भूत या भविष्य काल में जीते हैं। असल में दोनों काल मिथ्या हैं। वर्तमान ही सत्य है उसी में जीना चाहिए।

Concept: गद्य (Prose) (Class 10 B)

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Chapter 2.7: पतझर में टूटी पत्तियाँ - लिखित (ख) [Page 123]

Q 7Q 6Q 1

APPEARS IN

NCERT Class 10 Hindi - Sparsh Part 2

Chapter 2.7 पतझर में टूटी पत्तियाँ
लिखित (ख) | Q 7 | Page 123

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Solution : लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि जब वह जापान में अपने मित्र के साथ .टी-सेरेमनी. में गया। चाय की चुसकियों के मध्य दिमाग की रफ्तार धीरे-धीरे कम होने पर उसे अनुभव हुआ। हम हमेशा बीते हुए दिनों की खट्टी-मीठी यादों में उलझे रहते हैं या भविष्य के रंगीन सपने देखते रहते हैं। हम या तो भूतकाल में रहते हैं या भविष्यकाल में। वास्तव में हमारे सामने जो वर्तमान है, वही सत्य है। उसी में हमें जीना चाहिए।

लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है उसी में जीना चाहिए लेखक ने ऐसा क्यों कहा झेन की देन पाठ के आधार पर बताइए?

इसका आशय है कि लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है। वर्तमान में जीना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि ऐसा करने से स्वास्थ्य ठीक रहता है और जीवन में उन्नति होती है। यदि हम भूतकाल के लिए पछताते रहेंगे या भविष्य की योजनाएँ ही बनाते रहेंगे, तो दोनों बेमानी या निरर्थक हो जाएँगे।

लेखक ने भूत भविष्य और वर्तमान में से किसे और क्यों सत्य माना है?

लेखक के अनुसार सत्य वर्तमान है। उसी में जीना चाहिए। हम अक्सर या तो गुजरे हुए दिनों की बातों में उलझे रहते हैं या भविष्य के सपने देखते हैं। इस तरह भूत या भविष्य काल में जीते हैं।

लेखक के अनुसार कौन सा काल मिथ्या नहीं है?

लेखक ने भूतकाल और भविष्य काल को मिथ्या इसलिए कहा है क्योंकि भूतकाल वह समय है जो चला गया है और भविष्य काल वह काल है जो अभी आया नहीं है अर्थात दोनों काल मिथ्या है। वर्तमान ही सत्य है।

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