ह वर्ण का उच्चारण स्थान क्या है? - ha varn ka uchchaaran sthaan kya hai?

उच्चारण स्थान- किसी वर्ण का उच्चारण करते समय अन्दर से आने वाला श्वास वायु जिस स्थान पर आकर रूकती है या जहाँ पर बिना रोके उसके निकलने का मार्ग बनाया जाता है। वही उस वर्ण का उच्चरण स्थान कहलाता है।

लक्षण- किसी भी वर्ण को बोलते समय वायु तथा जिह्वा मुख के जिस-जिस भाग को स्पर्श करती है, वही उस वर्ग का उच्चारण स्थान होता है।

उच्चारण की दृष्टि से हिन्दी वर्णमाला के वर्णों को छह भागों में बांटा गया है।

1.कंठ्य वर्ण- जिन वर्णों का उच्चारण कंठ से होता है, उसे कंठ्य वर्ण कहते हैं।

जैसे- अ, क, ख, ग, घ, ङ, ह, और विसर्ग (:)।

2. तालव्य वर्ण- जिन वर्णों का उच्चारण तालु से होता है, उसे तालव्य वर्ण कहते हैं।

जैसे- इ, च, छ, ज, झ, य, और तालव्य

3. मूर्धन्य वर्ण- जिन वर्णों का उच्चारण मूर्धा से होता है उसे मूर्धन्य वर्ण कहते हैं।

जैसे- ऋ, त, ठ, ड, ढ, ण, र, और मूर्धन्य

4. दन्त्य वर्ण- जिन वर्णों का उच्चारण ऊपर के दांतों पर जीभ के लगने से होता है, उसे दन्त्य वर्ण कहते हैं। जैसे- त, थ, द, ध, न, ल, और दन्त्य

5. ओष्ठ्य वर्ण- जिन वर्णों का उच्चारण ओष्ठ या होठों से किया जाता है, उसे ओष्ठ्य वर्ण कहते हैं। जैसे- उ, ऊ, प, फ, ब, भ, और म।

6. अनुनासिक वर्ण– जिन वर्णों का उच्चारण नासिका से किया जाता उसे अनुनासिक वर्ण कहते हैं। जैसे- ङ, ञ, ण, न, म, और (ॱ)।

चन्द्र बिंदु (अनुनासिक) का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से होता है।

ध्यान देने योग्य विशेष-

  1. ङ, ञ, ण, न, म वर्ण को द्विस्थानीय समझना उचित है। अपने वर्ग के उच्चारण स्थान (कंठ, तालु, मूर्धा आदि) के साथ-साथ इनके उच्चारण में नासिका का सहयोग भी होता है।
  2. और वर्णों का उच्चारण भी कंठ और तालु से होता है। क्योंकि इन संधि-स्वरों में और दो वर्णों का संयोग होता है और तथा का उच्चारण क्रमशः कंठ और तालु से होता है।
  3. ओ, औ वर्णों का उच्चारण कंठ और ओष्ठ दोनों से होता है। क्योंकि इन संधि-स्वरों में और वर्णों तथा स्वर का उच्चारण स्थान क्रमशः कंठ तथ ओष्ठ होता है।
  4. और फ् अक्षर का उच्चारण स्थान दन्त और ओष्ठ होता है।
  5. अक्षर का उच्चारण स्थान दन्त और तालु है।

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वर्णों का उच्चारण स्थान | निम्नलिखित वर्णों के उच्चारण स्थान लिखिए | Varno ka Ucharan Sthan | हिंदी वर्णों के उच्चारण स्थान | Pronunciation of Letters in Hindi Grammar

वर्णों के उच्चारण स्थान

किसी भी वर्ण के उच्चारण के लिए मुख के विभिन्न भागों का सहारा लेना पड़ता है। मुख के जिस भाग (अवयव) से वर्ण का उच्चारण किया जाता है, वही भाग उस वर्ण का उच्चारण स्थान कहलाता है।

दूसरे शब्दों में - मुँह के जिस भाग से वर्णों की ध्वनियों का उच्चारण होता है, उसे उच्चारण-स्थान कहते हैं।

मुख्यतः वर्णों के उच्चारण स्थान छह हैं -

  1. कंठ
  2. तालु
  3. मूर्धा (तालु का ऊपरी भाग)
  4. दाँत (दंत)
  5. ओष्ठ (ओठ)
  6. नाक (नासिका)

उच्चारण-स्थान के आधार पर सभी वर्गों का वर्गीकरण कुछ इस प्रकार किया जा सकता है -

  1. कंठ्य - जिनका उच्चारण कंठ से हो, उसे कंठ्य वर्ण कहते हैं।
    उदाहरण जैसे - अ आ क् ख् ग् घ् ङ् विसर्ग तथा ह।

  2. तालव्य - जिनका उच्चारण तालु से हो, उसे तालव्य वर्ण कहते हैं।
    उदाहरण जैसे - इ ई च् छ् ज् झ् ञ् य् श्।

  3. मूर्धन्य - जिनका उच्चारण मूर्द्धा से हो, उसे मूर्धन्य वर्ण कहते हैं। ।
    उदाहरण जैसे - ऋ, ट् ठ् ड् ढ् ण् र् ष्।

  4. दंत्य - जिनका उच्चारण दाँत से हो, उसे दंत्य वर्ण कहते हैं।
    उदाहरण जैसे - त् थ् द् ध् न् ल् स्।

  5. ओष्ठ्य - जिनका उच्चारण ओठ से हो, उसे ओष्ठ्य वर्ण कहते हैं।
    उदाहरण जैसे - उ ऊ प् फ् ब् भ् म्।

  6. अनुनासिक - जिनका उच्चारण मुख और नाक से हो, उसे अनुनासिक वर्ण कहते हैं। इसे नासिक्य वर्ण भी कहते हैं।
    उदाहरण जैसे - ङ, ब, ण, न, म, अनुस्वार और चन्द्रबिंदु।

  7. कंठ-तालव्य - जिनका उच्चारण कंठ और ओष्ठ से हो, उसे कंठौष्ठ्य वर्ण कहते हैं।
    उदाहरण जैसे - ए तथा ऐ।

  8. कंठौष्ठ्य - जिनका उच्चारण कंठ और ओष्ठ से हो, उसे कंठौष्ठ्य वर्ण कहते हैं।
    उदाहरण जैसे- ओ तथा औ।

  9. दंतौष्ठ्य - जिनका उच्चारण दंत और ओष्ठ से हो, उसे दंतौष्ठ्य वर्ण कहते हैं।
    उदहारण जैसे - व।

वर्णों के उच्चारण-स्थान और उनके नाम निम्नलिखित तालिका द्वारा समझाया गया है -

उच्चारण स्थानवर्ण वर्णों के नाम
कंठ अ, आ, क, ख, ग, घ, ङ, ह और विसर्ग कंठ्य वर्ण
तालु इ, ई, च, छ, ज, झ, ञ, य, श तालव्य वर्ण
मूर्धा ऋ, ट, ठ, ड, ढ, ण, र, ष मूर्धन्य वर्ण
दंत त, थ, द, ध, न, ल, स दंत्य वर्ण
ओष्ठ उ, ऊ, प, फ, ब, भ, म ओष्ठ्य वर्ण
नासिका और मुख ङ, ञ, ण, न, म, पंचमाक्षर, अनुस्वार और चन्द्रबिंदु अनुनासिक वर्ण
कंठ और तालु ए और ऐ कंठतालव्य वर्ण
कंठ और ओष्ठ ओ और औ कंठौष्ठ्य वर्ण
दंत और ओष्ठ दंतौष्ठ्य वर्ण

ह का उच्चारण स्थान कौन सा है?

अतः उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ट है कि 'ह' का उच्चारण स्थान `कण्ठः' है। ए और ऐ का उच्चारणस्थान कण्ठतालु होता है। व का उच्चारणस्थान दन्तोष्ठ होता है। ओ तथा औ का उच्चारणस्थान कण्ठोष्ठ होता है।

ं का उच्चारण स्थान क्या है?

इन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास वायु का आवागमन स्वर तंत्रियों से होता है लेकिन इनमें कंपन नहीं होता है, इसलिए यह सघोष कहलाता है। उदाहरण -ग,घ, ङ,ञ्, झ, म, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म, य, र, व, ड, ढ। यह सभी ध्वनियाँ सघोष के अंतर्गत आती है।

ट वर्ग का उच्चारण स्थान क्या है?

ta varg ka uchcharan sthan : ट वर्ग का उच्चारण स्थान मूर्धा है।

Chh ध्वनि का उच्चारण स्थान क्या है?

श' ध्वनि का उच्चारण स्थान 'तालु' है। तालव्य जिन व्यंजनों के उच्चारण में जिह्वा का अग्र कठोर तालु को स्पर्श करता है, तालु व्यंजन कहलाते हैं। जैसे - , छ, ज, झ, ञ और श, य।

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