घेरंड संहिता के अनुसार किस ऋतु में योग का अभ्यास करना चाहिए - gherand sanhita ke anusaar kis rtu mein yog ka abhyaas karana chaahie

योगाभ्यास के लिए वर्जित काल समय

हेमन्ते शिशिरे ग्रीष्मे वर्षायां च ऋतौ तथा ।

भावार्थ :-  साधक को हेमन्त, शिशिर, ग्रीष्म और वर्षा ऋतुओं में योग साधना का अभ्यास शुरू नहीं करना चाहिए । इन ऋतुओं में अभ्यास करने पर रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है ।

विशेष :-  साधक को किन- किन ऋतुओं में योग के अभ्यास को प्रारम्भ नहीं करना चाहिए ? जिसका उत्तर है हेमन्त, शिशिर, ग्रीष्म व वर्षा ऋतुओं में । इसके अलावा यह भी पूछा जा सकता है कि कितनी ऋतुओं में योगाभ्यास वर्जित होता है ? जिसका उत्तर है चार ।

योगाभ्यास के लिए उपयुक्त समय

वसन्ते शरदि प्रोक्तं योगारम्भं समाचरेत् ।

तथायोगी भवेत् सिद्धो रोगान्मुक्तो भवेद् ध्रुवम् ।। 9 ।।

 

भावार्थ :-  योग साधना के विषय में कहा गया है कि साधक को वसन्त व शरद ऋतु में योग साधना की शुरुआत करनी चाहिए । इस समय पर योग साधना की शुरुआत करने वाला योगी निश्चित रूप से रोग मुक्त व सिद्धि को प्राप्त करने वाला होता है ।

विशेष :- किन- किन ऋतुओं में योग साधना को प्रारम्भ करना चाहिए ? उत्तर है वसन्त व शरद ऋतुओं में । वसन्त व शरद ऋतुओं में योग साधना प्रारम्भ करने से साधक को क्या लाभ मिलते हैं ? उत्तर है साधक रोग मुक्त व सिद्धि को प्राप्त कर लेता है ।

ऋतुओं का मास ( महीनों ) से सम्बन्ध

चैत्रादिफाल्गुनान्ते च माघादि फाल्गुननान्तिके ।

द्वौ द्वौ मासौ ऋतुभागौ अनुभावश्चतुश्चतु: ।। 10 ।।

 

भावार्थ :-  चैत्र मास से फाल्गुन मास के अन्त तक ( जिसमें माघ मास भी आता है ) दो- दो महीनों में एक ऋतु का समय पूरा होता है और चार- चार महीनों तक उन ऋतुओं का प्रभाव रहता है ।

विशेष :- दो महीने में एक ऋतु का समय बताया गया है । हमारे भारत देश में एक वर्ष में कुल छः ऋतुएँ होती हैं । इससे भी स्पष्ट है कि एक ऋतु का समय दो महीने तक होता है ।

वसन्तश्चैत्र वैशाखौ ज्येष्ठाषाढ़ौ च ग्रीष्मकौ ।

वर्षा श्रावणभाद्राभ्यां शरदाश्विनकार्तिकौ ।

मार्गपौषौ च हेमन्त: शिशिरो माघ फल्गुनौ ।। 11 ।।

 

भावार्थ :-   चैत्र और वैशाख मास तक वसन्त ऋतु और ज्येष्ठ व आषाढ़ मास तक ग्रीष्म ऋतु होती है । श्रावण से भाद्रपद अर्थात् भादौ तक वर्षा ऋतु और आश्विन से कार्तिक मास तक शरद ऋतु अर्थात् सर्दी होती है । मार्गशीर्ष से पौष माह तक हेमन्त ऋतु और माघ से फाल्गुन मास तक शिशिर ऋतु होती है ।

विशेष :- ऊपर वर्णित मास व ऋतु का सम्बन्ध परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी है । इसे अच्छे से याद करें । आसानी के लिए अन्त में डायग्राम की सुविधा भी दी जा रही है ।

अनुभावं प्रवक्ष्यामि ऋतुनां च यथोदितम् ।

माघादिमाधवान्तेषु वसन्तानुभवश्चतु: ।। 12 ।।

 

भावार्थ :-  अब मैं जैसा ऋतुओं के विषय में अनुभव होता है, उसका उपदेश करूँगा । माघ मास से वैशाख मास के अन्त तक चार महीनों वसन्त ऋतु का अनुभव होता है ।

विशेष :-  माघ से वैशाख मास के अन्त तक किस ऋतु का प्रभाव होता है ? उत्तर है वसन्त ऋतु का ।

चैत्रादि चाषाढान्तं च निदाघानुभवश्चतु: ।

आषाढादि चाश्विनान्तं प्रावृषानुभवश्चतु: ।। 13 ।।

 

भावार्थ :-  इसी प्रकार चैत्र मास से लेकर आषाढ़ मास में चार महीने तक ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव रहता है तथा आषाढ़ से आश्विन मास में चार महीने तक वर्षा ऋतु रहती है ।

विशेष :-  चैत्र से आषाढ़ तक किस ऋतु का प्रभाव रहता है ? उत्तर है ग्रीष्म अर्थात् गर्मी का । आषाढ़ मास से आश्विन मास तक किस ऋतु का प्रभाव पड़ता है ? उत्तर है वर्षा ऋतु का ।

भाद्रादिमार्गशीर्षान्तं शरदाऽनुभवश्चतु: ।

कार्तिकादिमाघमासान्तं हेमन्तानुभवश्चतु: ।

मार्गादिचतुरो मासान् शिशिरानुभवश्चतु: ।। 14 ।।

 

भावार्थ :-  भाद्रपद मास से मार्ग शीर्ष मास के अन्त तक चार महीने शरद ऋतु का प्रभाव रहता है, कार्तिक मास से माघ मास के अन्त तक चार महीने हेमन्त ऋतु का अनुभव होता है और मार्गशीर्ष मास से फाल्गुन मास तक चार महीने शिशिर ऋतु का प्रभाव रहता है ।

विशेष :-  परीक्षा की दृष्टि से ऊपर वर्णित मास व ऋतुओं का सम्बंध उपयोगी है ।

वसन्ते वापि शरदि योगारम्भं समाचरेत् ।

तदा योगो भवेत् सिद्धो विनायासेन कथ्यते ।। 15 ।।

 

भावार्थ :-  साधक को योग साधना की शुरुआत वसन्त या शरद ऋतु में करनी चाहिए । ऐसा करने से बिना किसी विशेष प्रयास के ही साधक को योग में सिद्धि प्राप्त हो जाती है ।

विशेष :-  किस – किस ऋतु में योगाभ्यास की शुरुआत करने से स्वयं ही सिद्धि की प्राप्ति हो जाती है ? अथवा किस- किस ऋतु में योगाभ्यास शुरू करने से बिना किसी विशेष प्रयास के अपने आप ही सिद्धि की प्राप्ति होती है ? उत्तर है वसन्त व शरद ऋतु में ।

Gheranda Samhita Ch. 5 [92-96]

केवली कुम्भक विधि   नासाभ्यां वायुमाकृष्य केवलं कुम्भकं चरेत् । एकादिकचतु:षष्टिं धारयेत् प्रथमे दिने ...

Gheranda Samhita Ch. 5 [86-91]

विभिन्न कार्यों के समय वायु की दूरी   षण्णवत्यङ्गुलीमानं शरीरं कर्मरूपकम् । देहाद्बहिर्गतो वायु: ...

Gheranda Samhita Ch. 5 [83-85]

मूर्छा प्राणायाम विधि व लाभ   सुखेन कुम्भकं कृत्वा मनश्च भ्रुवोरन्तरम् । सन्त्यज्य विषयान् ...

Gheranda Samhita Ch. 5 [74-82]

भस्त्रिका प्राणायाम विधि   भस्त्रैव लोहकालाणां यथाक्रमेण सम्भ्रमेत् । तथा वायुं च नासाभ्यामुभाभ्यां चालयेच्छनै: ...

कौन से ऋतु में योग का अभ्यास शुरू करना चाहिए?

भावार्थ :- साधक को योग साधना की शुरुआत वसन्त या शरद ऋतु में करनी चाहिए । ऐसा करने से बिना किसी विशेष प्रयास के ही साधक को योग में सिद्धि प्राप्त हो जाती है ।

घेरंड संहिता के अनुसार सर्व व्याधि नाशक आसन कौन सा है?

शीतक्रम कपालभाति । महर्षि घेरण्ड ने सिंहासन को सभी व्याधियों ( रोगों ) को समाप्त करने वाला आसन माना है ।

घेरण्ड संहिता के अनुसार आसनों की कितनी संख्या है?

हठयोग की साधना किस प्रकार से की जाती है ?

घेरंड संहिता में कितने अध्याय हैं in English?

अन्य 2 और ग्रंथ हैं- घेरंड संहिता और शिव संहिता। प्रदीपिका के भी 4 अध्याय हैं जिनमें आसन, प्राणायाम, चक्र, कुण्डलिनी, बंध, क्रिया, शक्ति, नाड़ी, मुद्रा आदि विषयों का वर्णन है। इसके अध्यायों को उपदेश कहते हैं, जैसे प्रथमोपदेश आदि।

Toplist

नवीनतम लेख

टैग