कैकई ने राजा दशरथ से पूर्व में दिये वरदान मांगे। इनमें भरत को राजगद्दी और राम को 14 वर्ष का वनवास मांगा। उन्होंने रानी कैकई को कोई अन्य वर मांगने को कहा लेकिन वह दो वरों में अड़ी रही। रघुकुल की मर्यादा पर राजा दशरथ को दोनों वर देने पड़े। श्री राम, भाई लक्ष्मण व सीता के वन को जाते ही राजा दशरथ ने प्राण त्याग दिये। वन में केवट संवाद बेहद रोचक रहा। यहां हुकुम चन्द्र मित्तल, धरमदास, राकेश त्यागी, मथुराप्रसाद तिवारी, सुरेश अग्रवाल, भगवान सिंह भण्डारी, सुरेश जैन, पवन अग्रवाल, रमेश गुप्ता, भीमसेन गर्ग, अनिल गुप्ता, संतोष गुप्ता, सम्पत राम गोयल, मनोज कुमार, अंशुल तिवारी, लक्ष्मी अग्रवाल, गीता सक्सेना, मंजू जोशी, धर्मा देवी, राधेश्याम मौजूद रहे।
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कैकई ने राजा दशरथ से दो वरदान मांगी थी पहला राम को 14 वर्ष का वनवास दूसरा लक्ष्मण का राज्य अभिषेक
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Updated Mon, 15 Oct 2018 12:09 AM IST
केकई ने दशरथ से लिए दो वचन, श्री राम को वनवास और भरत का राजतिलक
कैकेयी ने दशरथ से लिए दो वचन, श्रीराम को वनवास और भरत का राजतिलक
श्री गणेश ड्रामाट्रिक क्लब की रामलीला मंचन का चौथा दिन
फोटो नंबर-18 व
19
अमर उजाला ब्यूरो
कैथल। चंदाना गेट स्थित श्री ग्यारह रुद्री मंदिर प्रांगण में श्री गणेश ड्रामाट्रिक क्लब की रामलीला मंचन के चौथे दिन भगवान श्रीराम के वन गमन का मंचन किया गया। मंचन निर्देशक रमेश जांगड़ा व धर्मवीर असीजा के निर्देशन में किया जा रहा है।
शनिवार की रात को सबसे पहले मंच के कलाकारों ने प्रार्थना की। जिसके बाद रामलीला का मंचन शुरू हुआ। मंचन में कैकेई मंथरा व दशरथ कैकेयी संवाद में राम वनवास मांगना दिखाया जाता है। इस दौरान सबसे पहले महाराजा दशरथ श्रीराम के राजतिलक की
मुनियादी पूरे अयोध्या में करवा देते है। जिस पर यह सूचना मंथरा को पता चलती तो वह कैकेयी के पास जाती है। वे रानी को बहकाकर श्रीराम को वनवास और भरत का राजतिलक राजा दशरथ से वचन मांगने का आग्रह करती है। इस पर कैकेयी राजा दशरथ को अपना वचन याद दिलाती है। उनसे श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास और भरत को राजतिलक का वचन ले लेती है। इसके बाद श्रीराम के साथ सीता और लक्ष्मण भी वनों में जाने के लिए तैयार होते है। अंतिम दृश्य में अयोध्या के वासी श्रीराम, लक्ष्मण व सीता को विदाई देते हैं। मंचन में राम के पात्र में
चन्नी, लक्ष्मण के पात्र में विनोद, दशरथ के पात्र में जगजीत, सीता के पात्र में सुनील, मंथरा के पात्र में सतीश व कैकेयी के पात्र में रमेश ने मंच पर प्रस्तुति दी। इस मौके पर क्लब प्रधान मांगे राम खुरानियां, मंदिर समिति से रमेश एडवोकेट, धनश्याम दास, पवन मौजूद रहे।
तुम्हें याद होगा दो वरदान दिए थे, मरते हुई को मैने प्राण दिए थे
सीवन। श्री बाबा नारायण दास रंग मंच क्लब द्वारा आयोजित रामलीला में शनिवार रात की रामलीला का शुभारंभ पूर्व विधायक बूटा सिंह आर्य ने रिबन काट कर किया। रामलीला में
कोप भवन के सीन में महाराजा दशरथ का रोल अश्वनी शर्मा ने निभाया। इस सीन में कैकेयी ने कहा कि हे मेरे स्वामी तुम्हें याद होगा दो वरदान दिए थे, मरते हुई को मैने प्राण दिए थे। दशरथ ने कहा कि भुला दूं मै कैसे कि दो वरदान दिए थे लेकिन जो कैकेयी तू वरदान मांग रही है इससे अच्छा तो तूने मेरी जान ही न बचाई होती। हार कर दशरथ ने दो वरदान भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास व भरत को राज तिलक का वरदान दे दिया। इस पर श्रीराम ने भी गीत है जान से प्यारा वचन, मेरा आन से प्यारा वचन से माहौल को गमगीन कर दिया। इस अवसर पर
मांगे राम शर्मा, पवन शर्मा, सतीश सरदाना, डा. राम निवास शर्मा, बिट्टू गोल्डन, अमरजीत बंटी, रवि सैनी, पूर्ण चन्द भी मौजूद थे।
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विषयसूची
कैकेयी ने दशरथ से कितने वर माँगे थे तथा दूसरा वरदान क्या था?
इसे सुनेंरोकेंExplanation: रानी कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वरदान माँगे। अपने पहले वरदान में रानी कैकेयी ने भरत के लिए राजसिंहासन माँगा और दूसरे वरदान से राम के लिए वनवास माँगा।
करण कितना दानी था?
इसे सुनेंरोकेंभगवान् कृष्ण ने भी कर्ण को सबसे बड़ा दानी माना है। अर्जुन ने एक बार कृष्ण से पूछा की सब कर्ण की इतनी प्रशांसा क्यों करते हैं? तब कृष्ण ने दो पर्वतों को सोने में बदल दिया और अर्जुन से कहा के इस सोने को गांव वालों में बांट दो। अर्जुन ने सारे गांव वालों को बुलाया और पर्वत काट-काट कर देने लगे और कुछ समय बाद थक कर बैठ गए।
दूसरा वरदान क्या था?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: दूसरा वरदान था राम को चौदह वर्ष का वनवास।
सबसे बड़ा दानी कौन था?
इसे सुनेंरोकेंएक बार राजा विक्रमादित्य ने एक महाभोज का आयोजन किया। उस भोज में असंख्य विद्धान, ब्राह्मण, व्यापारी तथा दरबारी आमन्त्रित थे। भोज के मध्य में इस बात पर चर्चा चली कि संसार में सबसे बड़ा दानी कौन है। सभी ने एक स्वर से विक्रमादित्य को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ दानवीर घोषित किया।
कैकेयी ने कौन से दो वरदान मांगे?
इसे सुनेंरोकेंराजा दशरथ से उन्होंने पहले वचन के रूप में अपने पुत्र भरत के लिए राज सिंहासन मांगा और दूसरे वचन में उन्होंने भगवान राम के लिए 14 वर्षों का वनवास।
कैकेयी ने दो वरदान क्यों मांगा?
इसे सुनेंरोकेंकैकेयी राम से बहुत प्रेम करती थी और उन्हें खोना नहीं चाहती थी इसलिए उन्होंने राम के लिए चौदह वर्षों का वनवास मांग लिया. कैकेयी यह भी नहीं चाहती थी कि राम रघुवंश के नाश का कारण बने और उन्होंने यह वरदान मांगा कि भरत को राज्य दिया जाए.
कर्ण का जन्म कैसे हुआ?
इसे सुनेंरोकेंकर्ण (साहित्य-काल) महाभारत (महाकाव्य) के महानायक है| कर्ण का जन्म कुन्ती को मिले एक वरदान स्वरुप हुआ था। जब वह कुँआरी थी, तब एक बार दुर्वासा ऋषि उनके पिता के महल में पधारे। तब कुन्ती ने पूरे एक वर्ष तक ऋषि की बहुत अच्छे से सेवा की।
पहला वरदान क्या था?
इसे सुनेंरोकेंककई ने राजा दशरथ से पूर्व में दिये वरदान मांगे। कैकई ने पहला वर भरत को राजगद्दी व दूसरा वध श्री राम को 14 वर्ष का वनवास मांगा।