बिरसा की कल्पना में स्वर्ण युग किस तरह के था? आपकी राय में यह कल्पना लोगों को इतनी आकर्षक क्यों लग रही थीं?
बिरसा ने एक ऐसे स्वर्ण युग की बात की जिसमें लोग अच्छी ज़िन्दगी जीते थे, जब वे नदियों पर बांध बनाते थे तथा प्राकृतिक झरनों के उपयोग करते थे, जब वे मुक्त रूप से पेड़- पौधे लगते थे तथा नए-नए बाग़ान तैयार करते थे, साथ ही, अपनी आजीविका के लिए खेती करते थे, जब लोग ईमानदारी से बिना एक दूसरे को हानि पहुँचाएं, साथ साथ रहते थे।
बिरसा की यह कल्पना लोगों
को इसलिए आकर्षक लग रही थी की उन्हें विगत समय में ज़मींदारों, सूदखोरों तथा ब्रिटिश अधिकारियों के शोषण के शिकार होना पड़ा था। ब्रिटिश शोषक नीतियों ने उनसे उनके कई पारम्परिक अधिकार छीन लिए थे।
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मध्य भारत में ब्रिटिश भूमि बंदोबस्त के अन्तर्गत आदिवासी मुखियाओं को .............. स्वामित्व मिल गया।
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अंग्रेज़ों ने आदिवासियों को ................ के रूप में वर्णित किया।
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असम के ...............और बिहार की ................में काम करने के लिए आदिवासी जाने लगे।
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औपनिवेशिक शासन के तहत आदिवासी मुखियाओं की ताकत में क्या बदलाव आए?
1. उन्हें गाँवों के एक समूह के अपने भू-स्वामित्व को बरकरार रखने की छूट मिली। वे अपनी भूमि पट्टे पर दे सकते थे।
2. उन्हें अंग्रेज़ अधिकारियों को भेंट देना पड़ता था। साथ ही, अंग्रेज़ों का नाम पर उन्हें जनजातीय समूहों को अनुशासित रखना पड़ता था।
3. उनके कई सारे प्रशासनिक अधिकार खत्म हो गए तथा उन्हें ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करने के लिए मज़बूर किया गया।
4. उन्होंने पूर्व में अपने लोगों पर जिस तरह के प्राधिकार के प्रयोग किया था वे सारे प्राधिकार खत्म हो गए। यहाँ तक की वे अपने पारंपरिक रीती- रिवाज़ों को भी पूरा करने में सक्षम नहीं रह गए थे।
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झूम खेती में बीज बोने के तरीके को ..............कहा जाता है।
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