बार बार बुखार आता है तो क्या करना चाहिए? - baar baar bukhaar aata hai to kya karana chaahie?

डेंगू बुखार बहुत ही दर्दनाक और अक्षम कर देने वाली बीमारी है. इस रोग में तेज बुखार के साथ-साथ शरीर पर चकत्ते बनने शुरू हो जाते हैं. इसमें मरीज के शरीर में दर्द बहुत ज्यादा होता है, इसलिए इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है. डेंगू की वजह से शरीर में पानी की कमी, लगातार शरीर से खून निकलना, प्लेटलेट्स घटना, रक्तचाप कम होना, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी, लीवर को क्षति पहुंचना इत्यादि बीमारियां होने लगती हैं.

हर साल डेंगू लाखों लोगों को अपना निशाना बनाता है, जिनमें से कई लोग इस बुखार से लड़ते-लड़ते दम तोड़ देते हैं. इसलिए ज़रूरी है कि हम इस जानलेवा बीमारी के बारे में जागरूक बनें ताकि खुद को और अपने परिवार को डेंगू से सुरक्षित रख सकें.

साफ़ पानी में भी पनपते हैं डेंगू के मच्छर

डेंगू के बारे में सबसे बड़ा मिथक यह है कि लोग इसे गरीबों, झुग्गियों में रहने वाले लोगों की बीमारी समझते हैं. शहर की अच्छी सोसाइटियों, कालोनियों में रहने वाले लोग सोचते हैं कि उनका घर तो काफी साफ-सुथरा रहता है, तो भला उनके यहां डेंगू के मच्छर कैसे आ सकते हैं? मगर सच्चाई कुछ और है. डेंगू बुखार एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है और ये मच्छर आपके घर के भीतर के गमलों, कूलर, ए.सी. में जमा साफ पानी में भी पैदा हो सकते हैं.

बस एक ही मच्छर काफी है

कई लोगों को लगता है कि मच्छरों के लगातार काटने से ही डेंगू हो सकता है. इस कारण जब उन्हें अपने घर में एक-दो मच्छर भिनभिनाते हुए दिखते हैं, तो वो उन्हें हल्के में लेते हैं. उनकी ये नज़रअंदाज़ी उन्हें काफी भारी पड़ सकती है, क्यूंकि डेंगू का संक्रमण होने के लिए एक मच्छर का काटना ही काफी है. इसलिए अगर आपको अपने घर में एक मच्छर भी दिखे, तो जितना जल्दी हो सके, उसे मार दें.

सिर्फ मॉनसून में ही नहीं, बल्कि हर मौसम में हो सकता है डेंगू

डेंगू के बारे में एक आम गलतफहमी यह है कि ये सिर्फ मॉनसून में होता है, जबकि सच ये है यह है कि अब डेंगू का प्रकोप साल भर रहता है. गर्मियों में और बारिश के बाद के मौसम में भी डेंगू मच्छरों को पनपने का मौका मिलता है, जिससे अब ये एक बारहमासी रोग बन गया है.

एक भी मच्छर को नज़रअंदाज़ करना बन सकती है बड़ी भूल

जावेद नॉएडा की एक पॉश लोकैलिटी में रहते हैं. उन्होंने बताया कि वो अक्सर अपनी खिड़की के पास बैठकर चाय कि चुस्कियां लेते थे, किताबें, अखबार इत्यादि पढ़ा करते थे. इसी बहाने सुबह-शाम ताज़ा हवा भी मिल जाया करती थी. खिड़की खुली होने के कारण कभी कभार एक-दो मच्छर भी घर में घुस आया करते थे, लेकिन जावेद ने इस चीज़ पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया. इसका नतीजा ये निकला कि एक दिन सुबह जब नींद खुली तो उनसे बिस्तर से उठा तक नहीं गया. उनका पूरा शरीर बुखार से तप रहा था. और वो दर्द से तड़प रहे थे.

जब दो दिन दवा खाने के बाद भी उन्हें लगातार बुखार आता रहा तो उनके घरवाले उन्हें डॉक्टर के पास ले गए, जहां उन्हें डेंगू का टेस्ट कराने को कहा गया. जब टेस्ट के नतीजे सामने आये तो पता चला कि जावेद पूरी तरह डेंगू की चपेट में थे. उन्हें फ़ौरन एडमिट कर लिया गया और अगले चार दिन उन्होंने अस्पताल में काटे, जहां उन्हें प्लेटलेट चढ़ाये गए. वहां से डिस्चार्ज होने के बाद भी जावेद तकरीबन दिन बेड-रेस्ट पर रहे. आज जावेद का मानना है कि अगर उन्होंने उन एक-दो मच्छरों को नज़रअंदाज़ ना किया होता, तो वो डेंगू से बच जाते. इसलिए अब उन्हें जब भी मच्छर दिखता है, उसे मारने में वो ज़रा देर नहीं करते.

यदि किसी व्यक्ति को बार -बार बुखार आ रहा है तो उसे गंभीरता से लें। डॉक्टर पर जाएं आैर जांच कराएं, हो सकता है कि वह व्यक्ति ब्लड कैंसर का शिकार हो। यह बात राजीव गांधी कैंसर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र नई दिल्ली के ब्लड कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश भूरानी ने रविवार को दैनिक भास्कर से विशेष चर्चा के दौरान दी। उन्होंने कहा कि बार-बार बुखार आने के साथ ही शरीर के किसी में हिस्से में गांठ बनना आैर उससे खून आना भी ब्लड कैंसर के लक्षण हैं। उन्होंने कहा कि ब्लड कैंसर आनुवांशिक रोग नहीं है।

यहां सिटी सेंटर स्थित आरोग्यधाम में आयोजित नि:शुल्क चिकित्सा शिविर के लिए आए डॉ. भूरानी ने बताया कि ब्लड में लाल रक्त कणिका, सफेद रक्त कणिका और प्लेटलेट होता है। इनमें से सफेद रक्त कणिका या प्लेटलेट जब कम हो जाते हैं तो ब्लड कैंसर हो जाता है। ब्लड कैंसर की बीमारी अनुवांशिक नहीं है। यह बीमारी बदली लाइफ स्टाइल, वायु प्रदूषण और मिलावटी खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन होती है। युवाओं में सीएमएल, एएमएल और एएमएल -दो तरह का ब्लड कैंसर अधिक होता है। बोनमैरो ट्रांसप्लांट के जरिए ब्लड कैंसर का रोगी ठीक हो सकता है। विदेशों की अपेक्षा भारत में ब्लड कैंसर जैसी बीमारी दस साल पहले लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेती है।

थैलीसीमिया पीडि़तों को डॉक्टर से चर्चा करके देना चाहिए शिशु को जन्म: डॉ. भूरानी ने बताया कि माता और पिता थैलीसीमिया माइनर स्टेज में है तो उन्हें शिशु को जन्म देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए,क्योंकि ऐसे माता -पिता के होने वाली संतान मेजर थैलीसीमिया होता है। थैलीसीमिया से पीड़ित ऐसे माता -पिता को डॉक्टर बच्चा पैदा न करने की सलाह देते हैं। इसकी वजह यह है ऐसा बच्चे का जीवन अधिक नहीं होता है। ऐसे बच्चे का बोनमैरो ट्रांसप्लांट भी करना पड़ता है।

बुखार होने से न सिर्फ शरीर में कमजोरी आ जाती है बल्कि लम्बे समय तक बुखार होने से वजन गिरना, सिरदर्द, मन न लगना और कई दूसरी बीमारियां भी आपको घेर लेती हैं। ऐसे में आपको अगर बुखार आ जाए, तो कुछ घरेलू...

Pratima Jaiswalलाइव हिन्दुस्तान टीम ,नई दिल्ली Sun, 30 May 2021 11:09 AM

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बुखार होने से न सिर्फ शरीर में कमजोरी आ जाती है बल्कि लम्बे समय तक बुखार होने से वजन गिरना, सिरदर्द, मन न लगना और कई दूसरी बीमारियां भी आपको घेर लेती हैं। ऐसे में आपको अगर बुखार आ जाए, तो कुछ घरेलू तरीकों से भी बुखार को कम किया जा सकता है। 


खूब सारे तरल पदार्थ पिएं
बुखार आपके शरीर का तापमान बढ़ा देता है जिससे आपके शरीर से बहुत अधिक पसीना आ सकता है। इससे आपके शरीर में डिहाइड्रेशन हो सकता है। इससे बचाव और इलाज के लिए खुद को हाइड्रेट रखें और पूरे दिन खूब सारे तरल पदार्थ पिएं। रोजाना कम से कम 9-12 गिलास पानी पिएं। पानी ही नहीं, आप खुद को हाइड्रेट रखने के लिए घर का बना हेल्दी जूस, नारियल पानी, सूप आदि ले सकते हैं।

 

गिलोय
गिलोय एक प्रसिद्ध घरेलू उपचार है जिसका उपयोग कई स्वास्थ्य लाभों के लिए किया जाता है। बुखार से फ्लू हो सकता है और संक्रमण से लड़ना मुश्किल हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, तो यह खतरा बढ़ जाता है। इसलिए गिलोय बुखार को रोकने के साथ-साथ घर पर आसानी से उसका इलाज करने में आपका मित्र बन सकता है।

 

लहसुन
लहसुन एक गर्म आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो शरीर के तापमान को कम करने में मदद करती है। इसकी एंटी-बैक्टीरियल संपत्ति आपको किसी भी इम्यूनिटी को ठीक करने में मदद करेगी। कुछ अध्ययनों के अनुसार, लहसुन में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं जो इसे बुखार सहित कई संक्रमणों से लड़ने का घरेलू उपाय बनाते हैं।

 

 

तुलसी
तुलसी के रस को पीने की कोशिश करें या इसे अपनी नियमित चाय में शामिल करें। यह आपके शरीर के तापमान को संतुलित करने में मदद करेगा और संक्रमण से लड़ने में भी मदद करेगा। तुलसी की बूंदों या तुलसी की चाय के साथ पानी सबसे अच्छे पेय में से एक है, जिसे आप सुबह ले सकते हैं। तुलसी में जीवाणुरोधी और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो प्राकृतिक रूप से आपकी प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ा सकते हैं। अदरक का रस निकाल लें और उसमें कुटी हुई तुलसी और थोड़ा सा शहद मिलाएं।

 

अदरक 
अदरक की चाय एक अद्भुत इम्युनिटी बूस्टर है जो बुखार से निपटने में मदद करेगी और आपके श्वसन तंत्र को खांसी और सर्दी से किसी भी रुकावट से मुक्त कर सकती है। अदरक एक इम्यूनिटी बूस्टर है, जो बुखार को मैनेज कर सकता है। यह एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो सामान्य सर्दी और फ्लू के कई अन्य लक्षणों के इलाज में मदद कर सकती है।
 

डिसक्लेमर : यह लेख सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है, अगर किसी व्यक्ति को सेहत से जुड़ी कोई परेशानी होती है, तो कृपया डॉक्टर से संपर्क करके उचित इलाज कराएं। 

बार बार बुखार आने की क्या वजह हो सकती है?

क्यों आता है बार-बार बुखार लेकिन बार-बार बुखार होना वायरस या बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से हो सकता है या पीरियोडिक फीवर सिंड्रोम के कारण ऐसा हो सकता है. यह सिंड्रोम कभी-कभी जेनेटिक डिफेक्ट की वजह से होते हैं. बार-बार बुखार आना जब पीरियोडिक फीवर सिंड्रोम से होता है तो शरीर का टेंपरेचर बढ़ सकता है.

बुखार तुरंत कैसे ठीक करें?

तरल पदार्थों का खूब सेवन करें बुखार के दौरान शरीर के बढ़े हुए तापमान को कम करने के लिए अधिक पानी पीना जरूरी है। पानी नहीं पीने से डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। इसके लिए आप फलों का रस, विभिन्न तरह की चाय, काढ़ा आदि का सेवन कर सकते हैं।

ठंड लग के बुखार आने का क्या मतलब है?

आमतौर पर वायरल फीवर में रोगी को खांसी, जुकाम के साथ हल्का बुखार और बदन दर्द रहता है। लेकिन इस बार वायरल फीवर के नेचर में बदलाव आया है। मरीजों को ठंड देकर तेज बुखार आने और गले में दर्द की शिकायत भी है। ठंड देकर तेज बुखार मलेरिया का लक्षण है।

नमक से बुखार कैसे उतारा जाता है?

सफेद नमक वायरल बुखार को ठीक करने में बहुत मदद करता है. आप नमक, अजवाइन और नींबू एक साथ भूनें और बाद में एक गिलास पानी में डालकर नींबू निचोड़ दें. ध्यान रखें कि पानी गुनगुना होना चाहिए.

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