भारत में एफडीआई की शुरुआत कब हुई? - bhaarat mein ephadeeaee kee shuruaat kab huee?

संयुक्त राष्ट्र
Foreign Direct Investment 2020 में भारत में 64 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया और विदेशी निवेश के लिहाज से उसका दुनिया में पांचवां स्थान रहा। यह बात संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एक रिपोर्ट से सामने आई है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि देश में कोविड-19 की दूसरी लहर (Coronavirus Second Wave) का प्रकोप अर्थिक गतिविधियों पर काफी गहरा था, लेकिन मजबूत बुनियादी तत्व मध्यम अवधि के लिए उम्मीद पैदा करते हैं।

व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (अंकटाड) द्वारा सोमवार को जारी विश्व निवेश रिपोर्ट 2021 में कहा गया कि वैश्विक एफडीआई प्रवाह महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यह 2020 में 35 प्रतिशत गिरकर 1500 अरब अमरीकी डॉलर से घटकर 1,000 अरब अमरीकी डॉलर रह गया।

इस वजह से बना पांचवां सबसे बड़ा एफडीआई प्राप्तकर्ता
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि दुनिया भर में कोविड-19 के कारण लॉकडाउन ने मौजूदा निवेश परियोजनाओं को धीमा कर दिया और मंदी की आशंका के चलते बहुराष्ट्रीय उद्यमों को नई परियोजनाओं का फिर से आंकलन करने को मजबूर किया। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में एफडीआई 2020 में 27 प्रतिशत बढ़कर 64 अरब अमरीकी डॉलर हो गया, जो 2019 में 51 अरब अमरीकी डॉलर था। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उद्योग में अधिग्रहण से भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा एफडीआई प्राप्तकर्ता बन गया।

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भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हासिल किया जो अब तक किसी भी वित्त वर्ष में सबसे अधिक है। वर्ष 2014-15 में भारत में केवल 45.15 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई आया था जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई अब तक का  सर्वाधिक सालाना एफडीआई है। इसने यूक्रेन में युद्ध और कोविड-19 महामारी के बावजूद पिछले वर्ष के 1.60 अरब अमेरिकी डॉलर के एफडीआई को पीछे छोड़ दिया है। वित्‍त वर्ष 2003-04 की तुलना में भारत के एफडीआई में 20 गुना वृद्धि हुई है, जब एफडीआई केवल 4.3 अरब अमेरिकी डॉलर था।

पिछले चार वित्तीय वर्षों के दौरान रिपोर्ट किए गए कुल एफडीआई का विवरण इस प्रकार है:

क्र. सं.

वित्‍त वर्ष

एफडीआई की राशि

(अरब अमेरिकी डॉलर में)

1.

2018-19

62.00

2.

2019-20

74.39

3.

2020-21

81.97

4.

2021-22

83.57

इसके अलावा, भारत विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए एक पसंदीदा देश के रूप में तेजी से उभर रहा है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 (12.09 अरब अमेरिकी डालर) की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 (21.34 अरब अमेरिकी डॉलर) में विनिर्माण क्षेत्रों में एफडीआई इक्विटी में 76 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में निम्नलिखित प्रवृत्ति वैश्विक निवेशकों के बीच एक तरजीही निवेश गंतव्य के रूप में इसकी स्थिति का सबूत है।

इस बात पर गौर किया जा सकता है कि एफडीआई प्रवाह में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है – भारत में कोविड के बाद (मार्च, 2020 से मार्च 2022:171.84 अरब अमेरिकी डॉलर) कोविड से पहले एफडीआई (फरवरी, 2018 से फरवरी, 2020: 141.10 अरब अमेरिकी डॉलर) की जानकारी दी गई है।

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत में निवेश करने वाले शीर्ष निवेशक देशों के मामले में सिंगापुर 27 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर है। इसके बाद 18 प्रतिशत के साथ अमेरिका दूसरे स्थान पर आता है और 16 प्रतिशत के साथ मॉरीशस तीसरे स्थान पर आता है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश में 'कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर' क्षेत्र में सबसे ज्यादा विदेशी निवेश देखने को मिला है जहां करीब 25 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ क्रमशः सेवा क्षेत्र (12 प्रतिशत) और ऑटोमोबाइल उद्योग (12 प्रतिशत) का स्थान है।

'कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर' क्षेत्र के तहत, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सबसे ज्यादा एफडीआई 53 प्रतिशत कर्नाटक में आया तो दिल्ली में 17 प्रतिशत, और महाराष्ट्र में भी 17 प्रतिशत रहा। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सबसे ज्यादा एफडीआई प्राप्त करने वाला राज्य कर्नाटक है जहां 38 प्रतिशत एफडीआई आया है। इसके बाद 26 प्रतिशत के साथ महाराष्ट्र और 14 प्रतिशत के साथ दिल्ली का स्थान है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान कर्नाटक के अधिकांश इक्विटी प्रवाह 'कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर' (35 प्रतिशत), ऑटोमोबाइल उद्योग (20 प्रतिशत) और `शिक्षा' (12 प्रतिशत) क्षेत्रों में रिपोर्ट किए गए हैं।

पिछले आठ वर्षों के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के अच्‍छे परिणाम मिले हैं जो देश में प्राप्त एफडीआई प्रवाह की लगातार बढ़ती मात्रा से स्पष्ट है, जिसने नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। सरकार एफडीआई नीति की लगातार समीक्षा करती है और महत्वपूर्ण बदलाव करती है,  ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत एक आकर्षक और निवेशकों के लिए उपयोगी स्‍थान है। सरकार ने एफडीआई के लिए एक उदार और पारदर्शी नीति बनाई है, जिसमें अधिकांश क्षेत्र स्वचालित मार्ग के तहत एफडीआई के लिए खुले हैं। कारोबार में आसानी और निवेशकों को आकर्षित करने की सुविधा प्रदान करने के लिए एफडीआई नीति को अधिक उदार और सरल बनाने के लिए हाल ही में कोयला खनन, अनुबंध निर्माण, डिजिटल मीडिया, एकल ब्रांड खुदरा व्यापार, नागरिक उड्डयन, रक्षा, बीमा और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में सुधार किए गए हैं।

किसी भी देश की विकास की स्थिति उस देश की अर्थव्यवस्था पर निर्भर करती है | इसके लिए उस देश को अन्य देशों का विश्वास जीतना जरूरी होता है | ज्यादातर देशों कानून सरल और लचीला बनाया जाता है, जिससे विदेशी निवेशक उस देश में निवेश के लिए आकर्षित हो सके और अपना निवेश उस देश ज्यादा से ज्यादा करे | सभी देशों में निवेश करने के लिए कानून भी बनाया जाता है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके और निवेशक भी लाभ प्राप्त कर सके |


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इसके लिए भारत में भी एक संस्था एफडीआई (FDI) की शुरुआत की गयी है, जिससे की देश में विदेशी निवेश में बढ़ावा मिले और देश को आर्थिक स्थिति को मजबूती मिल सके | एफडीआई (FDI) क्या होता है, एफडीआई का फुल फॉर्म क्या है, FDI के फायदे और नुकसान क्या है इसके बारे में जानना चाहते है तो यहां पर इसकी जानकारी उपलब्ध कराई गई |

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एफडीआई (FDI) का फुल फॉर्म

Table of Contents

  • एफडीआई (FDI) का फुल फॉर्म
  • एफडीआई (FDI) के प्रकार
    • ग्रीन फील्ड निवेश
    • पोर्टफोलियो निवेश
    • एफडीआई (FDI) के नियम
    • FDI के फायदे
    • एफडीआई (FDI) के नुकसान

एफडीआई (FDI) का फुल फॉर्म “Foreign Direct Investment” होता है, इसका उच्चारण ‘फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट’ होता है, तथा हिंदी में इसे “प्रत्यक्ष विदेशी निवेश” कहा जाता है | इस संस्था द्वारा भारत विदेशी निवेश को सहमति प्रदान की जाती है | इस संस्था के द्वारा बनाये हुए नियमों को किसी भी विदेशी निवेशक के द्वारा पालन करने पर ही उसे देश में व्यापार करने या किसी संस्था को खोलने की अनुमति प्राप्त होती है |

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एफडीआई (FDI) के प्रकार

एफडीआई (FDI) मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-

  1. ग्रीन फील्ड निवेश
  2. पोर्टफोलियो निवेश

ग्रीन फील्ड निवेश

इसके नियम के तहत दूसरे देश में एक नई कम्पनी की स्थापना की जा सकती है |

पोर्टफोलियो निवेश

पोर्टफोलियो निवेश के अन्तर्गत किसी भी विदेशी कंपनी के शेयर खरीदे जाते हैं या फिर उसके स्वामित्व वाले विदेशी कंपनी का अधिग्रहण भी किया जा सकता है।

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एफडीआई (FDI) के नियम

  1. चिंताजनक उद्द्यमों के प्रबंधन में शामिल होने के लिए आदेश में मौजूदा विदेशी उद्यमों के शेयरों का अधिग्रहण हो सकता है।
  2. मौजूदा उद्यम और कारखानों पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया जा सकता है।
  3. 100% स्वामित्व के साथ एक नई सहायक कंपनी विदेशों में स्थापित की जा सकती है।
  4. यह शेयर धारिता के माध्यम से एक संयुक्त उद्यम में शामिल हो सकते है।
  5. नई विदेशी शाखाओं, कार्यालयों और कारखानों को भी स्थापित किया जा सकता है।
  6. वर्तमान में उपलब्ध विदेशी शाखाओं और कारखानों को विस्तारित किया जा सकता है।
  7. अल्पसंख्यक शेयर अधिग्रहण,उद्देश्य उद्यम के प्रबंधन में शामिल किये जाने का प्रावधान है।

FDI के फायदे

  1. विदेशी निवेश वांछित निवेश और स्थानीय स्तर पर एकत्रित की गई बचत के बीच भरा जा सकता हैं।
  2. प्रोद्योगिकी के अपग्रेडेशन का लाभ: विकासशील देशों हेतु मशीनरी और उपकरण स्थानांतरित करने में  विदेशी निवेश के कारण तकनीकी का आदान प्रदान होता है।
  3. निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार : एफडीआई (FDI) मेजबान देशों में निर्यात के प्रदर्शन में सुधार होगा |
  4. रोज़गार सृजन: विदेशी निवेश विकासशील देशों में आधुनिक क्षेत्रों में रोज़गार का सृजन करता हैं।
  5. उपभोक्ताओं को लाभ: FDI विकासशील देशों में उपभोक्ताओं को नए उत्पादों के द्वारा से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश फायदा होता है, और प्रतिस्पर्धी कीमतों पर माल की गुणवत्ता में भी अधिक सुधार देखने को मिलता है |

डीआरडीओ (DRDO) क्या है

एफडीआई (FDI) के नुकसान

  1. विदेशी निवेश के कारण देश के निवेश के साथ प्रतियोगिता बढ़ती हैं, जिससे घरेलू उद्योगों के लाभ में भारी गिरावट होती है, इसके अलावा प्रमुख घरेलू बचत में गिरावट आती है।
  2. कॉर्पोरेट करों के द्वारा सार्वजनिक राजस्व हेतु विदेशी कंपनियों का भी योगदान होता है और सरकार को विदेशी निवेशकों को, निवेश भत्ते, प्रच्छन्न सार्वजनिक सब्सिडी और टैरिफ सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी भी लेनी पड़ती है, जिससे सरकार पर भार पड़ता है |

यहाँ पर आपको एफडीआई (FDI) के विषय में जानकारी प्रदान की गई | यदि इस जानकारी से संतुष्ट है, या फिर इससे समबन्धित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कमेंट करे और अपना सुझाव प्रकट करे, आपकी प्रतिक्रिया का निवारण किया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे|

भारत में FDI की शुरुआत कब हुई?

2000 में, विदेशी निवेश को विनियमित करने के लिए विदेशी मुद्रा और प्रबंधन अधिनियम (FEMA) की शुरुआत की गई थी। डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) के अनुसार, अप्रैल 2000 से दिसंबर 2019 तक कुल एफडीआई प्रवाह 6,58,893 मिलियन अमरीकी डॉलर है।

भारत में एफडीआई में प्रथम देश कौन सा है?

भारत में FDI में प्रथम देश कौन सा है? Notes: भारत में FDI में प्रथम नम्बर पर मॉरीशस है।

एफडीआई कानून क्या है?

एफडीआई (FDI) के नियम मौजूदा उद्यम और कारखानों पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया जा सकता है। 100% स्वामित्व के साथ एक नई सहायक कंपनी विदेशों में स्थापित की जा सकती है। यह शेयर धारिता के माध्यम से एक संयुक्त उद्यम में शामिल हो सकते है। नई विदेशी शाखाओं, कार्यालयों और कारखानों को भी स्थापित किया जा सकता है।

एफडीआई कौन जारी करता है?

यह उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रशासित है।

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