दरअसल इस महीने यानि अप्रैल 2022 के दूसरे ही दिन यानि शनिवार, 2 अप्रैल को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष पर चैत्र नवरात्रि का पहले दिन रहेगा। इसी के साथ इस दिन से हिंदू नववर्ष यानि नवसंवत्सर 2079 का भी शुभारंभ होने जा रहा है। वहीं इस माह रविवार, 10 अप्रैल को रामनवमी के अलावा दो एकादशी कामदा एकादशी व वरुथिनी एकादशी क्रमश: 12 व 26 अप्रैल को पड़ेंगी। इसके अतिरिक्त अप्रैल में दो गुरु प्रदोष क्रमश: 14 व 28 अप्रैल को रहेंगे।
तो चलिए जानते हैं अप्रैल 2022 के व्रत, पर्व और त्योहारों के बारे में...
02 अप्रैल,सोमवार : मंगलवार को हिंदू नवसंवत्सर 2079 का प्रारंभ, चैत्र नवरात्रि
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2022) के पहले ही दिन यानि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को पूजा की शुरुआत कलश स्थापना से ही की जाती है। इस बार यानि 2022 की चैत्र नवरात्र पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त शनिवार,02 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 10 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 29 मिनट तक है। जिसका अर्थ है कि इस बार कलश स्थापना के लिए कुल 2 घंटे 18 मिनट का
समय हमारे पास होगा। 02 अप्रैल को शनिवार होने के चलते इस बार देवी मां अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी।
हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2079 दो अप्रैल 2022 यानी शनिवार से शुरू हो रहा है। इस बार नवसंवत्सर रेवती नक्ष और रवियोग में लग रहा है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दो अप्रैल शनिवार को रेवती नक्षत्र व रवियोग में हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू नव वर्ष का शुभारंभ हो रहा है। इस बार नवसंवत्सर 2079 के राजा शनि और मंत्री गुरु होंगे।
10 अप्रैल, रविवार - राम नवमी
राम नवमी का पर्व
भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी की तिथि को रामनवमी मनाई जाती है।
हिंदुओं में राम नवमी के पर्व का अत्यंत विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन भगवान राम की विधि पूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है।
राम नवमी 2022 के शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि की शुरुआत 10 अप्रैल 2022, भोर 01:32 से
नवमी तिथि की समाप्ति 11 अप्रैल 2022, तड़के 03:15 तक
शुभ मुहूर्त 10 अप्रैल 2022, 11:10 AM
से 1:32 PM तक
12 अप्रैल,मंगलवार : कामदा एकादशी
कामदा एकादशी के दिन भक्ति-भाव के साथ जो व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा पीले फूल से करते हुए व्रत रखता है, उसकी श्री हरि सभी कामनाएं पूरी करते हैं.
कामदा एकादशी व्रत मुहूर्त -
कामदा एकादशी पारणा मुहूर्त : दोपहर 01 बजकर 38 मिनट से 04 बजकर 12 मिनट तक 13, अप्रैल को।
29 अप्रैल,शुक्रवार : मासिक शिवरात्रि
इस दिन भगवान शंकर का विशेष पूजन करने का विधान है। अगर इस मासिक
शिवरात्रि के दिन षोडशोपचार विधि से भगवान शिव का पूजन व अभिषेक किया जाए तो वे प्रसन्न होकर मनवांछित कामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं। यह मासिक शिवरात्रि, वैशाख मासिक शिवरात्रि है।
29 अप्रैल, शुक्रवार को पूजा मुहूर्त-
पूजा मुहूर्त: रात 11:57 बजे से देर रात 12:40 बजे तक।
अप्रैल 2022 के त्यौहार, व्रत व पर्व
01 अप्रैल . सोमवार - चैत्र अमावस्या,
02 अप्रैल . मंगलवार - चैत्र नवरात्रि, उगाडी, घटस्थापना, गुड़ी पड़वा (हिंदू नवसंवत्सर 2079 प्रारंभ)
03 अप्रैल . बुधवार - चेटी चंड
10 अप्रैल . रविवार - राम नवमी
11 अप्रैल . सोमवार : चैत्र नवरात्रि पारणा
12 अप्रैल . मंगलवार : कामदा एकादशी
14 अप्रैल . गुरुवार : प्रदोष व्रत (शुक्ल), मेष संक्रांति
16 अप्रैल . शनिवार : हनुमान जयंती, चैत्र पूर्णिमा व्रत
19 अप्रैल . मंगलवार : संकष्टी चतुर्थी
26 अप्रैल . मंगलवार : वरुथिनी एकादशी
28 अप्रैल . गुरुवार : प्रदोष व्रत (कृष्ण)
29 अप्रैल . शुक्रवार : मासिक शिवरात्रि
30 अप्रैल . शनिवार : वैशाख अमावस्या
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भारत त्योहारों का देश है, यहां कई धर्मों को मानने वाले लोग रहते है और सभी धर्मों के अपने-अपने त्योहार है। बैसाखी पंजाब और आसपास के प्रदेशों का सबसे बड़ा त्योहार है। बैसाखी पर्व को सिख समुदाय नए साल के रूप में मनाते हैं। इस वर्ष बैसाखी का पर्व रविवार, 14 अप्रैल 2019 को मनाया जा रहा है। बैसाखी नाम वैशाख से बना है।
बैसाखी मुख्यत: कृषि पर्व है जिसे दूसरे नाम से 'खेती का पर्व' भी कहा जाता है। यह पर्व
किसान फसल काटने के बाद नए साल की खुशियां के रूप में मानते हैं। यह पर्व रबी की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है।
भारतभर में बैसाखी का पर्व सभी जगह मनाया जाता है। यह एक राष्ट्रीय त्योहार है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर साल 13 अप्रैल को बैसाखी पर्व मनाया जाता है जिसे देश के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले सभी धर्मपंथ के लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। वैसे कभी-कभी 12-13 वर्ष में यह त्योहार 14 तारीख को भी आ जाता है।
उत्तर भारत में विशेषकर पंजाब बैसाखी पर्व को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है। ढोल-नगाड़ों की थाप पर युवक-युवतियां प्रकृति के इस उत्सव का स्वागत करते हुए गीत गाते हैं, एक-दूसरे को बधाइयां देकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं और झूम-झूमकर नाच उठते हैं। अत: बैसाखी आकर पंजाब के युवा वर्ग को याद दिलाती है, साथ ही वह याद दिलाती है उस भाईचारे की जहां माता अपने 10 गुरुओं के ऋण को उतारने के लिए अपने पुत्र को गुरु के चरणों में समर्पित करके सिख बनाती थी।
वर्ष 1699 में सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की नींव रखी थी। इसका 'खालसा' खालिस शब्द से बना है जिसका अर्थ शुद्ध, पावन या पवित्र होता है। खालसा पंथ की स्थापना के पीछे गुरु गोविंद सिंह का मुख्य लक्ष्य लोगों को तत्कालीन मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त कर उनके धार्मिक, नैतिक और व्यावहारिक जीवन को श्रेष्ठ बनाना था।
इस पंथ के द्वारा गुरु गोविंद सिंह ने लोगों को धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव छोड़कर इसके स्थान पर मानवीय भावनाओं को आपसी संबंधों में महत्व देने की भी दृष्टि दी। इस कृषि पर्व की आध्यात्मिक पर्व के रूप में भी काफी मान्यता है।
उल्लास और उमंग का यह पर्व बैसाखी अप्रैल माह के 13 या 14 तारीख को जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तब मनाया जाता है। वर्ष 2019 में यह पर्व 14 अप्रैल को यह मनाया जाएगा। यह केवल पंजाब में ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत के अन्य प्रांतों में भी उल्लास के साथ मनाया जाता है।
सौर नववर्ष या मेष संक्रांति के कारण पर्वतीय अंचल में इस दिन मेले लगते हैं। लोग श्रद्धापूर्वक देवी की पूजा करते हैं तथा उत्तर-पूर्वी सीमा के असम प्रदेश में भी इस दिन बिहू का पर्व मनाया जाता है।लोग श्रद्धापूर्वक देवी की पूजा करते हैं तथा उत्तर-पूर्वी सीमा के असम प्रदेश में भी इस दिन बिहू का पर्व मनाया जाता है। इस दिन दान का बहुत महत्व माना गया है। सूर्य के मेष में प्रवेश करते ही खरमास की समाप्ति भी हो जाएगी।