अन्नपूर्णा माता की पूजा कैसे करनी चाहिए? - annapoorna maata kee pooja kaise karanee chaahie?

माता अन्नपूर्णा, पार्वती माता का स्वरूप हैं. धरती पर अन्न जल की कमी होने पर वे देवी अन्नपूर्णा के रूप में प्रकट हुई थीं. जानें माता अन्नपूर्णा जयंती की तिथि, महत्व और पूजा विधि से लेकर पूरी जानकारी.

हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है. माना जाता है कि इस तिथि पर माता पार्वती ने के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि एक बार पृथ्वी पर अन्न की कमी हो गई और प्राणी अन्न को तरसने लगे थे. तब लोगों के कष्ट को दूर करने के लिए माता पार्वती, अन्न की देवी अन्नपूर्णा के रूप में अव​तरित हुई थीं.

इस बार अन्नपूर्णा जयंती 19 दिसंबर रविवार के दिन पड़ रही है. मान्यता है कि इस दिन मां अन्नपूर्णा की सच्चे दिल से पूजा अर्चना करने से परिवार में कभी अन्न, जल और धन धान्य की कमी नहीं रहती. यहां जानिए इस दिन का महत्व और माता अन्नपूर्णा की पूजा विधि से जुड़ी जानकारी.

अन्नपूर्णा जयंती का महत्व

अन्नपूर्णा जयंती का उद्देश्य लोगों को अन्न की महत्ता समझाना है. अन्न से हमें जीवन मिलता है, इसलिए कभी अन्न का निरादर नहीं करना चाहिए और न ही इसकी बर्बादी करनी चाहिए. अन्नपूर्णा जयंती के दिन रसोई की सफाई करनी चाहिए और गैस, स्टोव और अन्न की पूजा करनी चाहिए. साथ ही जरूरतमंदों को अन्न दान करना चाहिए. मान्यता है कि इससे माता अन्नपूर्णा अत्यंत प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर विशेष कृपा बनाकर रखती हैं. ऐसा करने से परिवार में हमेशा बरक्कत बनी रहती है, साथ ही अगले जन्म में भी घर धन धान्य से परिपूर्ण रहता है.

पूजा विधि

अन्नपूर्णा जयंती के दिन सुबह सूर्योदय के समय उठकर स्नान करके पूजा का स्थान और रसोई को अच्छी तरह साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करें. इसके बाद हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पुष्प आदि से रसोई के चूल्हे की पूजा करें. फिर मां अन्नापूर्णा की प्रतिमा को किसी चौकी पर स्थापित करें और एक सूत का धागा लेकर उसमें 17 गांठें लगा लें. उस धागे पर चंदन और कुमकुम लगाकर मां अन्नपूर्णा की तस्वीर के सामने रखकर 10 दूर्वा और 10 अक्षत अर्पित करें. अन्नपूर्णा देवी की कथा पढ़ें. इसके बाद माता से अपनी भूल की क्षमा याचना करें और परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करें. फिर सूत के धागे को घर के पुरुषों के दाएं हाथ महिलाओं के बाएं हाथ की कलाई पर बांधें.पूजन के बाद किसी गरीब को अन्न का दान करें.

ये है कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार पृथ्वी पर अन्न की कमी हो गई और लोग भूखे मरने लगे. त्रस्त होकर लोगों ने ब्रह्मा, विष्णु से प्रार्थना की. इसके बाद ब्रह्मा और विष्णु ने शिव जी को योग निद्रा से जगाया और सम्पूर्ण समस्या से अवगत कराया. समस्या के निवारण के लिए स्वयं शिव ने पृथ्वी का निरीक्षण किया. फिर माता पार्वती ने अन्नपूर्णा का रूप लिया और पृथ्वी पर प्रकट हुईं. इसके बाद शिव जी ने भिक्षुक का रूप रखकर अन्नपूर्णा देवी से चावल भिक्षा में मांगे और उन्हें भूखे लोगों के बीच बांटा. इसके बाद पृथ्वी पर अन्न जल का संकट खत्म हो गया. जिस दिन माता पार्वती अन्न की देवी के रूप में प्रकट हुईं थीं, उस दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा का दिन था. तब से इस दिन को माता अन्नपूर्णा के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.

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मां भगवती का वह स्वरूप जिससे संसार को भरण पोषण और अन्न वस्त्र मिल रहा है वे अन्नपूर्णा स्वरूप हैं. माना जाता है कि दुनिया में समस्त प्राणियों को भोजन मां अन्नपूर्णा की कृपा से ही मिल रहा है.

भगवान शिव चूंकि समस्त सृष्टि का नियंत्रण अपने परिवार की तरह करते हैं. अतः उनके इस परिवार की गृहस्थी मां अन्नपूर्णा चलाती हैं. मां अन्नपूर्णा की उपासना से समृद्धि, सम्पन्नता और संतोष की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही साथ व्यक्ति को भक्ति और वैराग्य का आशीर्वाद भी मिलता है.  

किन दशाओं में मां अन्नपूर्णा की पूजा-उपासना विशेष फलदायी होती है?

- अगर कुंडली में दरिद्र योग या दिवालिया होने का योग हो.

- अगर कुंडली में गुरु-चांडाल योग हो.  

- अगर शनि पंचम, अष्टम या द्वादश भाव में हो.  

- अगर राहु द्वितीय या अष्टम भाव में हो.  

- अगर कुंडली में विष योग हो.  

मां अन्नपूर्णा की पूजा में किन-किन बातों की सावधानी रखनी चाहिए?

- मां अन्नपूर्णा की पूजा प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में या संध्याकाल में करनी चाहिए.

- पूजा के समय लाल, पीले और श्वेत वस्त्र धारण करें.

- भगवती अन्नपूर्णा को कभी भी दूर्वा (दूब) अर्पित न करें.

- मंत्र जाप के लिए तुलसी की माला का प्रयोग न करें.

- अपनी माता और घर की स्त्रियों का सम्मान करें.

किस प्रकार करें मां अन्नपूर्णा की पूजा ताकि दरिद्रता का नाश हो और सम्पन्नता की प्राप्ति हो?

- मां अन्नपूर्णा की पूजा रोज भी कर सकते हैं या केवल शुक्रवार को भी कर सकते हैं.  

- मां अन्नपूर्णा के चित्र के समक्ष घी का दीपक जलाएं.  

- संपूर्ण भोजन जरूर चढ़ाएं.  

- ध्यान रखें कि भोजन अर्पण के पूर्व घर में किसी ने भोजन ग्रहण न किया हो.   

- तत्पश्चात अन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ करें या मां के मंत्र का जाप करें.

- इसके बाद अर्पित किए गए भोजन को प्रसाद की तरह ग्रहण करें.

अन्नपूर्णा जयंती - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

Annapurna Jayanti 2022 Date: आज अन्नपूर्णा जयंती है। प्रत्येक वर्ष मार्गशीष यानी अगहन मास की पूर्णिमा तिथि वाले दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। ये दिन मां पार्वती के अन्नपूर्णा स्वरूप को समर्पित है। इस दिन अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से संकट के समय में भी कभी अन्न की कमी नहीं होती है। मां अन्नपूर्णा से ही धरती पर अन्न की पूर्ति होती है। इसलिए अन्नपूर्णा माता का स्थान रसोई घर में माना जाता है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन मां पार्वती समस्त सृष्टि का भरण-पोषण करने वाली देवी अन्नपूर्णा के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुई थीं। मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा की साधना और भोजन का सम्मान करने वाले व्यक्ति को कभी भूखा नहीं रहना पड़ता है। इसलिए इस दिन घर की महिलाओं या अन्न का अपमान नहीं करना चाहिए। ऐसे में चलिए जानते हैं अन्नपूर्णा जयंती का महत्व समय और पूजा विधि...

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अन्नपूर्णा जयंती 2022 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 07 दिसंबर 2022 को सुबह 08 बजकर 01 मिनट से होकर अगले दिन यानी की 08 दिसंबर 2022 को सुबह 09 बजकर 37 मिनट पर पूर्णिमा तिथि की समाप्ति है। ऐसे में इस साल अन्नपूर्णा जयंती आज यानी 8 दिसंबर 2022 को मनाई जा रही है।

अन्नपूर्णा जयंती पूजन विधि
अन्नपूर्णा जयंती के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूरे घर और रसोई, चूल्हे की अच्छे से साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
खाने के चूल्हे पर हल्दी, कुमकुम, चावल पुष्प अर्पित करें। धूप दीप प्रज्वलित करें।
इसके साथ ही माता पार्वती और शिव जी की पूजा करें। माता पार्वती ही अन्नपूर्णा हैं।
विधि पूर्वक पूजा करने के बाद माता से प्रार्थना करें कि हमारे घर में हमेशा अन्न के भंडारे भरे रहें। मां अन्नपूर्णा पूरे परिवार एवं समस्त प्राणियों पर अपनी कृपा बनाए रखें।

इस दिन अन्न का दान करें जरूरतमंदो को भोजन करवाएं।

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अन्नपूर्णा जयंती का महत्व
कहा जाता है कि जिस घर में मां अन्नपूर्णा की आशीर्वाद रहता है, वहां किसी प्रकार का अभाव नहीं रहता है। मां अन्नपूर्णा का कृपा से अन्न के भंडार भरे रहते हैं। इसलिए अन्नपूर्णा जयंती के दिन मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद पाने के लिए पूजा करनी चाहिए। इस दिन प्रातः उठकर मां अन्नपूर्णा की पूजा करना चाहिए।

अन्नपूर्णा माता की पूजा कैसे की जाती है?

सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
किचन की अच्छे से सफाई कर गंगा जल से शुद्ध करें.
लाल कपड़े पर अन्नपूर्णा की तस्वीर रखें.
तस्वीर पर तिलक लगाएं और फूल चढ़ाएं.
चूल्हें पर रोली, हल्दी, अक्षत लगाएं.
धूप और दीप लगाकर पूजा करें.
मां पार्वती और भगवान शिव की भी पूजा करें.
पूजा के बाद सबसे पहले चावल की खीर बनाएं.

अन्नपूर्णा व्रत कब और कैसे किया जाता है?

हर साल एक बार मार्गशीर्ष (अगहन) मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को श्री अन्नपूर्णा षष्ठी का पूजा और व्रत किया जाता है, व्रत अगहन मास में कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से प्रारंभ होकर शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि तक 16 दिन चलता है, लेकिन जिनके ऐसा करना संभव ना हो वे एक दिन में इसका संपूर्ण लाभ पा सकते हैं.

अन्नपूर्णा देवी की पूजा कब की जाती है?

नई दिल्ली, Annapurna Jayanti 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन मां अन्नपूर्णा प्रकट हुई थीं। इसी कारण हर साल इस दिन मां अन्नपूर्णा की विधिवत पूजा करने का विधान है।

मां अन्नपूर्णा को कैसे प्रसन्न करें?

अगर मां अन्नपूर्णा की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो घर की गृहलक्ष्मी रसोई में मां अन्नपूर्णा की तस्वीर जरूर लगाए और खाना बनाने से पहले इनकी पूजा करे। Annapurna Jayanti ke upay: भोजन करने से पहले मां अन्नपूर्णा का स्मरण कर उनका धन्यवाद करें और हाथ जोड़ कर विनती करें की उनका आशीर्वाद सदैव बना रहें।

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