आर्थिक विकास आर्थिक वृद्धि तथा आर्थिक प्रगति में क्या अंतर है? - aarthik vikaas aarthik vrddhi tatha aarthik pragati mein kya antar hai?

अर्थव्यवस्था में आर्थिक संवृद्धि से अभिप्राय आर्थिक विकास (economic development) से है! आर्थिक संवृद्धि को ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें किसी देश की वास्तविक आय और प्रति व्यक्ति आय में दीर्घ अवधि तक वृद्धि होती है! वृद्धि, वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में वृद्धि के रूप में होनी चाहिए, केवल विद्यमान वस्तुओं की बाजार कीमत में नहीं! 

कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार आर्थिक संवृद्धि एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी अर्थव्यवस्था का सकल घरेलू उत्पाद लगातार दीर्घकल तक बढ़ता रहता है! इस संदर्भ में सकल राष्ट्रीय उत्पाद और सकल घरेलू उत्पाद में अंतर ध्यान रखना जरूरी है! इसलिए सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की बात करना अधिक तर्कसंगत है! राष्ट्रीय आय में अल्पकालीन, मौसमी या अस्थाई वृद्धि को आर्थिक संवृद्धि  नहीं माना जाना चाहिए! 

आर्थिक संवृद्धि के उदाहरण – 

(1) किसी अर्थव्यवस्था में सड़क नेटवर्क में एक दशक या फिर किसी समय अंतराल में हुई वृद्धि का पता किलोमीटर या मील की लंबाई से चल सकता है! 

(2) किसी अर्थव्यवस्था में एक दशक के दौरान खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि को मापा जा सकता है और टन में मापा जा सकता है! 

(3) ठीक इसी तरह, किसी अर्थव्यवस्था में हुई वृद्धि का आकलन कुल उत्पादन के मूल्य से लगाया जा सकता है! किसी समय अवधि के दौरान प्रति व्यक्ति आय में मुनाफे का आकलन भी किया जा सकता है!

इस हिसाब से आर्थिक वृद्धि को एक तरह से मात्रात्मक प्रगति भी कह सकते हैं! 

आर्थिक विकास क्या है (What is economic development in hindi) –

आर्थिक विकास (economic development) की धारणा आर्थिक संवृद्धि की धारणा से अधिक व्यापक है! आर्थिक विकास सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, गुणात्मक एवं परिणामात्मक सभी परिवर्तनों से संबंधित है! आर्थिक विकास तभी कहा जाएगा जब जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो!

आर्थिक विकास की माप में अनेक चर सम्मिलित किए जाते हैं, जैसे – आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक संस्थानों के स्वरूप में परिवर्तन, शिक्षा तथा साक्षरता दर, जीवन प्रत्याशा, पोषण का स्तर, स्वास्थ्य सेवाएं  प्रति व्यक्ति उपभोग वस्तुएं! अत: आर्थिक विकास मानव विकास ही है! आर्थिक विकास मात्रात्मक और गुणात्मक प्रगति है!

आर्थिक विकास की विशेषताएं (economic growth ki visheshta)-

(1) आर्थिक विकास एक सतत प्रक्रिया है! 

(2) आर्थिक विकास में वास्तविक राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है! यह वृद्धि निरंतर ग्रह काल तक चलती रहती है! 

(3) आर्थिक विकास के फलस्वरुप जन सामान्य के जीवन स्तर तथा आर्थिक कल्याण में वृद्धि होती है! 

(4) उत्पत्ति के साधनों का कुशलतापूर्वक विद्वान होता है! 

आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक –

आर्थिक विकास और आर्थिक संवृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक इस प्रकार हैं –  पूंजी निर्माण, प्राकृतिक संसाधन, औद्योगिकरण की तीव्र वृद्धि दर, तकनीकी उन्नति, आर्थिक प्रणाली, राजनीतिक कारक, अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र की बढ़ती भूमिका,,उद्यमशीलता आदि!

(1) तकनीकी उन्नति – 

आर्थिक संवृद्धि को प्रभावित करने में तकनीकी उन्नति एक महत्वपूर्ण कारक है! अच्छी तकनीक के प्रयोग से दिए गए संसाधनों की सहायता से अधिक उत्पादन करना या संसाधनों की कम मात्रा से ही पर्याप्त उत्पादन करना संभव हो पाता है! तकनीक उन्नति प्राकृतिक संसाधनों का पूर्ण प्रयोग करने की योग्यता में सुधार लाती है! 

आर्थिक विकास और आर्थिक संवृद्धि में अंतर –

                         आर्थिक संवृद्धि

                            आर्थिक विकास 

आर्थिक संवृद्धि अर्थव्यवस्था में मात्रात्मक परिवर्तन लाती हैं! 

आर्थिक विकास अर्थव्यवस्था में मात्रात्मक परिवर्तन के साथ-साथ गुणात्मक परिवर्तन भी लाता है! 

आर्थिक संवृद्धि सकल घरेलू उत्पाद अथवा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि पर प्रकाश डालती है! 

आर्थिक विकास किसी अर्थव्यवस्था में जीवन की गुणवत्ता की उन्नति को प्रतिबिंबित करता है! 

आर्थिक संवृद्धि एक संकीर्ण अवधारणा है! 

आर्थिक विकास एक व्यापक अवधारणा है! 

आर्थिक संवृद्धि एक स्वचालित प्रक्रिया है! 

आर्थिक विकास एक निर्देशित प्रक्रिया है! 

यह एक अल्पकालीन प्रक्रिया है एवं निश्चित समयावधि के लिए होने वाला परिवर्तन है! 

यहां एक दीर्घकालीन एवं लगातार चलने वाली प्रक्रिया है! 

आर्थिक विकास और विकास के बीच अंतर | Read this article in Hindi to learn about the difference between economic development and growth.

सामान्यत: वाक्यांश आर्थिक विकास, आर्थिक वृद्धि, आर्थिक प्रगति, आर्थिक कल्याण और दीर्घकालिक परिवर्तन को समानार्थक शब्द माना जाता है तथा सभी परस्पर परिवर्तन योग्य हैं ।

एक सामान्य व्यक्ति के लिये इनमें अन्तर करना कठिन है । परन्तु शुम्पीटर, मिसेज हिक्स, मैडीसन बीन और डी. ब्राइट सिंह जैसे अर्थ-शास्त्रियों ने आगे आ कर इनमें सीमा रेखा खींचने का प्रयत्न किया है ।

आर्थिक विकास और आर्थिक वृद्धि (Economic Development and Economic Growth):

“विकास, स्थिर स्थिति में एक असतत और सहज परिवर्तन है जो पहले से विद्यमान संतुलित स्थिति को सदा के लिये बदलता है तथा विस्थापित करता है, जबकि वृद्धि मन्द तथा सतत होने वाला परिवर्तन है जो दीर्घ काल में होता है और बचत तथा जनसंख्या की दर में सामान्य वृद्धि द्वारा लाया जाता है ।” –शुम्पीटर

“आर्थिक विकास अल्पविकसित देशों की समस्याओं से व्यवहार करता है जबकि ‘आर्थिक वृद्धि’ विकसित देशों की समस्याओं से व्यवहार करती है । अल्प-विकसित देशों में समस्याएं विकास को आरम्भ करने और तीव्र करने की होती है ।” –यू. के. हिक्स

“समृद्ध देशों में आय स्तरों के बढ़ने को प्राय: आर्थिक वृद्धि कहा जाता है तथा निर्धन देशों में इसे आर्थिक विकास कहा जाता है ।” -मैडीसन्

सी. पी. किन्डलबर्गर (C. P. Kindle Berger) ने आर्थिक विकास और आर्थिक वृद्धि में अन्तर की व्याख्या की है । ”आर्थिक वृद्धि का अर्थ है अधिक उत्पादन और आर्थिक विकास का अर्थ अधिक उत्पादन और तकनीकी एवं संस्थागत प्रबन्धों में परिवर्तन दोनों हैं जिनके द्वारा इसे उत्पादित किया जाता है ।”

प्रो. किन्डलबर्ग का यह विचार दर्शाता है कि वृद्धि और उच्च उत्पादन समानार्थी हैं । आर्थिक तत्वों की मात्रा में वृद्धि, वृद्धि के रूप में दर्शायी जाती है । अपने मत के समर्थन में वे कहते हैं- ”वृद्धि में ऊंचाई या भार पर बल दिया जाता है जबकि विकास कार्यात्मक क्षमता में परिवर्तन की ओर ध्यान आकर्षित करता है ।”

पूर्व वर्णित विभिन्न अर्थशास्त्रियों के उपरोक्त विचार दर्शाते हैं कि ये दोनों शब्द केवल समानार्थक है । दोनों के बीच का अन्तर काल्पनिक और अवास्तविक है । इस सन्दर्भ में प्रो. लुईस (Prof. Lawis) को उद्धृत करना उचित होगा ।

उसके अनुसार- ”अधिकतर हम केवल वृद्धि का वर्णन करेंगे, परन्तु कभी-कभी विविधता हेतु ‘प्रगति’ और ‘विकास’ का प्रयोग भी कर सकते हैं ।” इसी स्वर में प्रो. पाल ए. बैरान ने (Prof. Paul A. Baron) कहा है कि, ‘विकास’ और ‘वृद्धि’ के विचार, मात्र किसी पुरानी वस्तु जिसकी उपयोगिता समाप्त हो चुकी है, में नये परिवर्तन का बोध करवाते है ।

आर्थिक वृद्धि और आर्थिक प्रगति (Economic Growth and Economic Progress):

कुछ अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक वृद्धि और आर्थिक प्रगति में अन्तर किया है । आर्थिक वृद्धि का अर्थ है कुल राष्ट्रीय आय में वृद्धि जबकि आर्थिक प्रगति का अर्थ है प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि ।

अन्य शब्दों में, आर्थिक प्रगति का अर्थ है लोगों के जीवन स्तर में सुधार और आर्थिक वृद्धि राष्ट्रीय उत्पादन के स्तर में वृद्धि की ओर ले जाती है । परन्तु हमें याद रखना चाहिये कि जीवन का उच्च स्तर तभी सम्भव है यदि राष्ट्रीय आय में वृद्धि के साथ जनसंख्या में वृद्धि नहीं हो ।

इसलिये, आर्थिक वृद्धि देश/क्षेत्र को आर्थिक प्रगति की ओर ले जाती है । इसके अतिरिक्त, आर्थिक वृद्धि का प्रयोग समष्टिगत रूप में किया जाता है जबकि आर्थिक प्रगति को व्यष्टिगत अर्थ में लिया जाता है ।

आर्थिक प्रगति और आर्थिक कल्याण (Economic Progress and Economic Welfare):

कुछ अर्थशास्त्रियों का विचार है कि आर्थिक प्रगति का अभिप्राय ही आर्थिक कल्याण में वृद्धि है । अत: इस प्रकार आर्थिक प्रगति वास्तविक प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के सन्दर्भ में होती है जबकि आर्थिक कल्याण प्रति व्यक्ति वास्तविक आय के वितरणात्मक पहलू से सम्बन्धित होता है ।

”आर्थिक प्रगति को सरल शब्दों में, आर्थिक कल्याण में सुधार के रूप में परिभाषित किया जा सकता है ।” -प्रो. कोलिन क्लार्क

“आर्थिक कल्याण और कुछ नहीं बल्कि उन सब वस्तुओं और सेवाओं की बहुलता है जिनका विनिमय मुद्रा के द्वारा जा सकता है ।” -प्रो. पिगु

परन्तु, वस्तुओं की बहुलता अपने आप ही आर्थिक कल्याण की ओर नहीं ले जायेगी । सम्भव है कि जब प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही हो तो समृद्ध लोग अधिक समृद्ध हो जाये और निर्धन अधिक निर्धन ।

यह केवल तब होता है जब वितरण प्रणाली असमान हो और आय का बड़ा भाग कुल जनसंख्या के एक छोटे भाग के हाथों में चला जाये । कभी-कभी आर्थिक कल्याण को मौद्रिक आय की क्रय शक्ति के सन्दर्भ में भी परिभाषित किया जा सकता है ।

अत: जब मुद्रा की क्रय शक्ति बढ़ जाती है तो आर्थिक कल्याण को भी बढ़ा हुआ कहा जाता है । मुद्रा मूल्यों में वृद्धि आर्थिक कल्याण दर्शाती है जबकि कीमतों में गिरावट आर्थिक कल्याण को बढ़ाती है । इसलिये मूल्य सूचनांक आर्थिक कल्याण का मानदण्ड है ।

आर्थिक विकास आर्थिक वृद्धि तथा आर्थिक प्रगति में क्या अन्तर है?

प्रो0 एलन बरेरी ने आर्थिक वृद्धि तथा प्रगति में अंतर करने का प्रयत्न किया है। उनके मतानुसार 'प्रगति' से अभिप्राय प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि से है। जबकि 'आर्थिक वृद्धि' का अर्थ, जनसंख्या एवं कुल वास्तविक आय (राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय) दोनों में होने वाली बढ़ोत्तरी से लगाया जाता है।

क्या आर्थिक विकास और आर्थिक विकास के बीच अंतर है?

किन्डलबर्जर के अनुसार, आर्थिक समृद्धि से तात्पर्य है अधिक उत्पादन, जबकि आर्थिक विकास में दोनों बातें शामिल होती हैं- अधिक उत्पादक तथा तकनीकी एवं संस्थागत व्यवस्थाओं में परिवर्तन। इस प्रकार आर्थिक समृद्धि की तुलना में आर्थिक विकास एक विस्तृत अवधारणा है।

आर्थिक विकास एवं आर्थिक वृद्धि से आप क्या समझते हैं?

किसी देश की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि आर्थिक वृद्धि (Economic growth) कहलाती है। आर्थिक वृद्धि केवल उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का परिमाण बताती है।

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