आकलन की आवश्यकता क्यों होती है? - aakalan kee aavashyakata kyon hotee hai?

इस पोस्ट में आकलन का अर्थ , उद्देश्य, प्रकार, महत्व व शिक्षक की भूमिका स्पष्ट रूप से समझने का प्रयास करते हैं इस हेतु आवश्यक PDF DOWNLOAD कर सकते हैं

आकलन

आकलन का अर्थ

आकलन का आशय है – सूचनाओं को एकत्रित करने की प्रक्रिया । विद्यार्थियों के संदर्भ में किसी विषय के बारे में निर्णय प्रदान करना कहलाता है । आकलन की प्रक्रिया में प्रदत्त कार्य प्रदर्शन परीक्षण का प्रयोग किया जा सकता है ।

आकलन का मूलभूत उद्देश्य

आकलन का मुख्य उद्देश्य व्यक्तिगत की क्षमता अनुभूति का मापन करना है। जिससे कि मनुष्य के लक्ष्य को प्राप्त करने का आकलन हम लगा सकते हैं। हम यह पता लगा सकते हैं, कि वह लक्ष्य प्राप्त करने में उस व्यक्ति का को कितना समय और कितने अधिक ज्ञान की जरूरत है। आकलन का सबसे ज्यादा प्रयोग विद्यार्थी के ऊपर क्या जाता है।

आकलन के प्रकार (Types of Assessment)

1 निर्माणात्मक\ रचनात्मक आकलन (Formative Assessment)
2 योगात्मक\ संकलनात्मक आकलन (Summative Assessment)
3 निदानात्मक आकलन (Diagnostic Assessment)

आकलन क्यों जरूरी है?

आकलन के द्वारा बालकों की प्रगति स्तर का पता लगाया जाता है। छात्रों के विकास को निरंतर गति देना मूल्यांकन का उद्देश्य है। बालकों के योग्यता, कुशलता, क्षमता तथा गुण इत्यादि का पता आकलन के द्वारा लगाया जाता है। शिक्षकों की कुशलता एवं सफलता का पता भी आकलन के द्वारा लगाया जाता है।

आकलन कैसे करते हैं?

आकलन करने के चार मूलभूत तरीके हैं-

व्यक्तिगत आकलन- एक बच्चे को केंद्र में रखते हुए किया गया आकलन जब वह कोई गतिविधि/कार्य करता है और उसे पूर्ण करता है।

सामूहिक आकलन- किसी कार्य को पूर्ण करने के उद्देश्य से बच्चों द्वारा, सामूहिक रूप से कार्य करते समय सीखने और प्रगति का आकलन सामूहिक आकलन है।

स्व आकलन –बच्चे द्वारा स्वयं के सीखने तथा ज्ञान, कौशल, प्रक्रियाओं, रुचि, व्यवहार आदि में प्रगति के स्वआकलन से संबंधित है।

सहपाठियों द्वारा आकलन – एक बच्चे द्वारा दूसरे बच्चे का आकलन, इसे दो बच्चों की जोड़ी या समूह में करवाया जा सकता है।

आकलन और मूल्यांकन PDF

आकलन और मूल्यांकन दोनों का उद्देश्य बच्चों की अभिव्यक्ति, क्षमता, अनुभूति, आदि का मापन करना है। आकलन एक संक्षिप्त प्रक्रिया है और मूल्यांकन एक व्यापक प्रक्रिया है। मूल्यांकन किसी भी शैक्षिक कार्यक्रम में किसी भी पक्ष के विपक्ष में विषय में सूचना एकत्र करना उसका विया करना श्लेषण करना और व्याख्या करना है।

अधिगम का आकलन

अधिगम के लिए आकलन, इसे शिक्षार्थी के ज्ञान, समझ, कौशल और मूल्यों को विकसित करने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने में मदद करता है जिसे वे अपने व्यवहार में प्रतिबिंबित करने में सक्षम होते हैं। यह छात्रों की क्षमताओं, आवश्यकताओं और त्रुटियों को ध्यान में रखता है।

आकलन में शिक्षक की भूमिका

जहां बच्चे विद्यालयी शिक्षा का केंद्र होते हैं, बच्चों में ज्ञानार्जन सुनिश्चित करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका एक अध्यापक की होती है।

वर्तमान में सरकारी विद्यालयों में नियमित अध्यापकों में से 85% व्यावसायिक रूप से योग्यता संपन्न हैं।

सर्व शिक्षा अभियान एवं राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान योजनाओं, दोनों में अध्यापकों के ज़रूरत आधारित व्यावसायिक विकास के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन प्रयासों को पूरा करने के लिये ऑनलाइन कार्यक्रमों की योजना भी है।

ज़रूरत है कि विद्यालयी तंत्र प्रतिभाशाली युवाओं को अध्यापन के क्षेत्र में लाए, राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद ने चार वर्षीय समेकित बीए-बीएड एवं बीएससी-बीएड कार्यक्रमों की शुरुआत की है एवं श्रेष्ठ विद्यालयी तंत्र के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में ईमानदारी से रूचि रखने वालों का ध्यान आकर्षित करने के लिये इन कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है।

आकलन में समुदाय की भूमिका

एक व्यापक और विविधता से भरे देश में निर्णय लेना और जवाबदेही का विकेन्द्रीकरण ही सफलता की कुंजी है। विद्यालय शिक्षा के मामले में समुदाय विद्यालय प्रबंधन समितियों के माध्यम से विद्यालय प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। अब तक इन समितियों को विद्यालय भवन के निर्माण जैसी गतिविधियों के प्रावधानों में शामिल किया जा चुका है। इससे आगे बढ़ते हुए विद्यालय समितियों को मजबूत किये जाने की आवश्यकता होगी ताकि वे बच्चों के शिक्षण के लिए विद्यालय की जवाबदेही पर भी अपना नियंत्रण कर सके।

माता-पिताओं और एसएमसी सदस्यों को कक्षावार शिक्षण लक्ष्यों के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता होगी। एसएमसी बैठक, सामाजिक अंकेक्षण अथवा विद्यालय शिक्षा पर ग्रामसभा बैठकों जैसे प्रयासों को भी विद्यार्थी के अध्ययन में जोड़ने और उनका मूल्यांकन करने की आवश्यकता होगी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि माता-पिता और समुदाय के सदस्य आगे कदम बढ़ाते हुए अपने बच्चों के शिक्षण के लिए विद्यालयों की जवाबदेही पर नियंत्रण बना सकते हैं इसके लिए भाषा को आसानी से समझने के लिए शिक्षण लक्ष्यों को कक्षावार तैयार करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और विद्यालयों के साथ-साथ इसके व्यापक प्रचार-प्रसार को प्रदर्शित करने की भी योजना है।

इस अभियान में सरकार, नागरिक समाज संगठन, विशेषज्ञों, माता-पिता, समुदायिक सदस्यों और बच्चों सभी के प्रयासों की आवश्यकता होगी।

इन्हें भी पढ़ें :

  • कक्षा 1 से 8 तक आकलन के क्रियान्वयन के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश
  • सत्र 2021-22 में कक्षा 1 से 8 तक आकलन प्रक्रिया की पूरी जानकारी
  • कक्षा 1 से 8 तक आकलन हेतु प्रश्न पत्र का निर्माण
  • कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों के ग्रेड एवं कक्षा स्तर का निर्धारण
  • बेसलाइन आकलन 2021 दिशा निर्देश एवं समय-सारणी PDF DOWNLOAD

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आकलन की आवश्यकता क्यों है?

आकलन सूचना संग्रहण तथा उस पर विचार विमर्श की प्रक्रिया है, जिन्हें हम विभिन्न माध्यमों से प्राप्त कर ये समझा सकते हैं कि विद्यार्थी क्या जानता है, समझता है, अपने शैक्षिक अनुभवों से प्राप्त ज्ञान को परिणाम के रूप में व्यक्त कर सकता है जिसके द्वारा छात्र अधिगम में वृद्धि होती है ।"

आकलन के उद्देश्य क्या क्या है?

आकलन का उद्देश्य क्या है?.
बच्चों को भययुक्त परिवेश में अध्ययन करने के लिए प्रेरित करना।.
बच्चों को 'धीमी गति से सीखने वाले', 'प्रखर' एवं 'समस्यात्मक' रूपों में चिन्हित करना।.
अधिगम पर विश्वसनीय प्रतिपुष्टि देना।.
कक्षा में प्रतियोगिताओं को प्रोत्साहित करना।.

आकलन की उपयोगिता क्या है?

आकलन के द्वारा अधिगम की उपलब्धियों का पता लगाया जाता है। आकलन की प्रक्रिया शिक्षक के लिए भी लागू होती है। इस प्रक्रिया के द्वारा यह पता चलता है कि एक शिक्षक बच्चे को किस स्तर तक अधिगम कराने में सफल रहा है। बच्चे को किस स्तर तक ज्ञान देने में सफल हुए हैं यह बात की जानकारी मूल्यांकन देती है।

आकलन की प्रकृति क्या है?

आकलन की प्रकृति मानवीय, विद्यार्थी-मित्रवत, उत्तरदायीपूर्ण और पारदर्शी होनी चाहिए। आकलन के द्वारा निश्चित समय अंतराल में विद्यार्थियों के अधिगम स्तर का ज्ञान होता हैं. आकलन शिक्षक की विद्यार्थियों का आवश्यकताओं को व्यक्तिगत रूप से जानने में सहायता करता है।

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