आग रोटियां सेकने के लिए है जलने के लिए नहीं मां ने बेटी को सचेत करना क्यों कर जरूरी समझा - aag rotiyaan sekane ke lie hai jalane ke lie nahin maan ne betee ko sachet karana kyon kar jarooree samajha

'आग रोटियाँ सेंकने के लिए है।

जलने के लिए नहीं'

(क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?

(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों ज़रूरी समझा?

(क) इन पंक्तियों में समाज द्वारा नारियों पर किए गए अत्याचारों की ओर संकेत किया गया है। समाज में अक्सर नारी को जलाए जाने तथा जलकर आत्महत्या करने की बात सामने आती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नारी का जीवन कष्टों से भरा होता है।

(ख) बेटी अभी सयानी नहीं थी, उसकी उम्र भी कम थी और वह समाज में व्याप्त बुराईयों से अंजान थी। माँ यह नहीं चाहती थी कि उसके साथ जो अन्याय हुए हैं वो सब उसकी बेटी को भी सहना पड़े। इसलिए माँ ने बेटी को सचेत करना ज़रुरी समझा।

Concept: पद्य (Poetry) (Class 10 A)

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आग से रोटी सेकने के लिए मां ने बेटी को संकेत करना क्यों जरूरी समझा?

माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों जरूरी समझा? माँ ने बेटी को सचेत करना इसलिए जरूरी समझा है कि वह भी अनेक अन्य बहुओं की तरह किसी की आग में अपना जीवन न खो दे। उसे किसी भी अवस्था में कमजोर नहीं बनना चाहिए। उसे कष्ट देने की कोशिश करने वालों के सामने उठ कर खड़ा हो जाना चाहिए।

आग के विषय में माँ के कथन का क्या अभिप्राय है?

इस सबसे मां का यह आशय की कुछ बेटियां अपने परिस्थितियों से परेशान होकर आत्महत्या जैसी कदम उठाती हैं जिसमें वे हालातों से लड़ना नहीं बल्कि हालातों से हार मानना जानती हैं जिससे वह जहर खाना, फांसी लगाना आग लगाने जैसी हरकतें करती हैं जिससे उनके परिवार ससुराल तथा मायके का अपमान होता है समाज में लोग तरह तरह की बातें सोचते हैं ...

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