Solution : साख के प्रमुख स्रोत हैं-औपचारिक एवं अनौपचारिक स्रोत ।। <br> (i) बैंकों तथा सरकारी समितियों द्वारा दिये गये ऋण को औपचारिक ऋण तथा साहूकार, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार, मित्र आदि द्वारा दिये गये ऋण को अनौपारिक ऋण के नमा से जाना जाता है। <br> (ii) औपचारिक ऋणदाता कर्जदार से समर्थक ऋणाधार की माँग करते हैं जबकि अनौपचारकि ऋण में किसी प्रकार के समर्थक ऋणाधार की आवश्यकता नहीं पड़ती। <br> (iii) औपचारिक ऋणदाता एक निश्चित तथा निम्न ब्याज दर पर ऋण देते हैं जबकि अनौपचारिक ऋणदाता मनमानी तथा उच्च ब्याज दर पर ऋण देते हैं। <br> (iv) औपचारिक ऋण देने वाली संस्थाओं का नियंत्रण एवं अधीक्षण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है जबकि अनौपाचारिक क्षेत्र में ऋणदाताओं की गतिविधियों की देखरेख करने वाली कोई संस्था नहीं है। <br> (v) औपचारिक ऋण आकार में बड़ा होता है जबकि अनौपचारिक ऋण छोटा।
4 साख के अनौपचारिक स्रोतों से क्या तात्पर्य है इस प्रणाली की कमियों का उल्लेख कीजिए? - 4 saakh ke anaupachaarik sroton se kya taatpary hai is pranaalee kee kamiyon ka ullekh keejie?
<br> (ii) औपचारिक ऋणदाता कर्जदार से समर्थक ऋणाधार की माँग करते हैं जबकि अनौपचारकि ऋण में किसी प्रकार के समर्थक ऋणाधार की आवश्यकता नहीं पड़ती। <br> (iii) औपचारिक ऋणदाता एक निश्चित तथा निम्न ब्याज दर पर ऋण देते हैं जबकि अनौपचारिक ऋणदाता मनमानी तथा उच्च ब्याज दर पर ऋण देते हैं।
अनौपचारिक स्रोतों में सभी छोटी और बिखरी हुई इकाइयाँ शामिल होती हैं जो आम तौर पर सरकार के नियंत्रण से बाहर होती हैं, उन्हें इसके कानूनों और विनियमों का पालन करना चाहिए। लाभ कमाना अनौपचारिक स्रोतों का प्राथमिक उद्देश्य है। अनौपचारिक स्रोतों में ऋण गतिविधियों को नियंत्रित करने वाला कोई संगठन नहीं है।
साख की औपचारिक स्रोत से से तात्पर्य उन संस्थानों से है, जो बेहद कम दर पर ऋण उपलब्ध कराते है। ये संस्थान बैंक, सहकारी समितियां तथा अन्य आधिकारिक वित्तीय संस्थान आदि होते हैं। यह औपचारिक स्रोत एक निश्चित और बेहद कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराते हैं।
जब हम बैंक से ऋण लेते है तो हमें कुछ सामग्री या मकान के कागज़ आदि गिरबी रखना होते है तथा किन्हीं दो व्यक्तियों की जमानत भी दिलाना पड़ती है . इन सबके बाबजूद भी तत्काल ऋण मिलना मुश्किल होता है . इस कारण लोग साहूकार , मालिक या व्यापारी से उधार {ऋण} लेते है इसे अनौपचारिक ऋण कहते है .