2022 की जनगणना के आयुक्त कौन है? - 2022 kee janaganana ke aayukt kaun hai?

केंद्र सरकार ने कम से कम सितंबर, 2022 तक राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (National Population Register – NPR) को अपडेट करने के लिए जनगणना के पहले चरण और विवरण के संग्रह को स्थगित कर दिया है।

मुख्य बिंदु 

  • इससे पहले दिसंबर 2021 में जिलों, उप-जिलों, तालुक, तहसीलों, पुलिस स्टेशनों आदि की सीमाओं को फ्रीज़ करने के कार्य को जून 2022 तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
  • जनगणना के संचालन के लिए प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं को फ्रीज करना एक पूर्व-आवश्यकता है। यह कम से कम तीन महीने पहले किया जाता है।
  • भारत के महापंजीयक (Registrar General of India – RGI) द्वारा जून 2021 तक संकलित अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, जिलों की संख्या 2011 में 640 से बढ़कर 736 हो गई है।
  • उप-जिले 2011 में 5,925 से बढ़कर 2021 में 6,754, जनगणना शहर 3,892 से बढ़कर 5,050 और वैधानिक शहर 4,041 से बढ़कर 4,657 हो गए हैं।
  • हालांकि, इसी अवधि में गांव 6,40,934 से घटकर 6,39,083 हो गए हैं।

जनगणना 2021 का पहला चरण

जनगणना 2021 का पहला चरण, जिसमें हाउस लिस्टिंग, हाउसिंग सेंसस और NPR को अपडेट करना शामिल है, अप्रैल-सितंबर, 2020 से आयोजित होने वाला था। हालांकि, COVID-19 महामारी के बीच इसे अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था।

दूसरा चरण

जनगणना का दूसरा और मुख्य चरण 5 मार्च, 2021 तक समाप्त होने वाला था। लेकिन ऐसा नहीं हो सका क्योंकि राज्यों को 1 जनवरी, 2020 से 31 मार्च, 2021 तक नई प्रशासनिक इकाइयाँ बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (National Population Register – NPR)

NPR भारत में रहने वाले सभी लोगों की सूची है। इसमें नागरिक और गैर-नागरिक दोनों शामिल हैं। NPR को पहली बार 2010 में संकलित किया गया था। इसे 2015 में अपडेट किया गया था। यह पहले ही 119 करोड़ निवासियों का डेटाबेस संकलित कर चुका है। NPR को 2020 की जनगणना के पहले चरण के साथ अपडेट किया जाना था।

भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त (Registrar General and Census Commissioner of India)

इसकी स्थापना 1961 में गृह मंत्रालय द्वारा भाषाई सर्वेक्षण और भारत की जनगणना सहित भारत के जनसांख्यिकीय सर्वेक्षणों के परिणामों की व्यवस्था, संचालन और विश्लेषण करने के लिए की गई थी। रजिस्ट्रार के पद पर एक सिविल सेवक कार्य करता है।

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नई दिल्ली: कोविड महामारी (Covid Pandemic) के कारण 2020-21 में स्थगित की गई दशवार्षिक जनगणना (Census 2022) के जल्द शुरू होने की संभावना नजर नहीं आ रही है. केंद्र ने राज्यों को जून 2022 तक जिलों और अन्य नागरिक और पुलिस इकाइयों की सीमाओं में बदलाव नहीं करने का निर्देश दिया है. यह देश की सबसे बड़ी जनगणना से तीन महीने पहले एक अनिवार्य आवश्यकता है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर (Coronavirus Third Wave) की आशंका के मद्देनजर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि जनगणना कब कराई जाए और फिर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अद्यतन किया जाए. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त ने राज्यों को अवगत कराया है कि केंद्र सरकार ने जून 2022 तक जिलों, उप-मंडलों, तालुकों, पुलिस स्टेशनों आदि की सीमाओं के परिवर्तन पर प्रतिबंध लगा दिया है.

जनगणना कार्यों के संचालन के लिए कम से कम तीन महीने पहले प्रशासनिक और पुलिस इकाइयों की सीमाओं के परिवर्तन पर प्रतिबंध अनिवार्य है. अधिकारी ने कहा कि चूंकि प्रशासनिक और पुलिस इकाइयों की सीमाओं को जून 2022 तक सील कर दिया गया है, इसलिए अक्टूबर से पहले जनगणना अभियान शुरू करने का कोई सवाल ही नहीं है.

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सोमवार को सुबह आठ बजे अद्यतन किए गए आंकड़ों के अनुसार, कोरोना के 33,750 ताजा मामलों के साथ भारत में इससे संक्रमितों की संख्या बढ़कर 3,49,22,882 हो गई, जबकि सक्रिय मामले बढ़कर 1,45,582 हो गए. आंकड़ों से पता चलता है कि 123 और लोगों की मौत के साथ मरने वालों की संख्या बढ़कर 4,81,893 पर पहुंच गई.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सक्रिय मामले बढ़कर 1,45,582 हो गए हैं, जबकि राष्ट्रीय कोविड-19 से ठीक हाने वाले मरीजों की दर 98.20 प्रतिशत दर्ज की गई है. पहले के कार्यक्रम के अनुसार, जनगणना की संदर्भ तिथि एक मार्च, 2021 होती और बर्फीले राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में यह तिथि एक अक्टूबर, 2020 होती.

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मार्च 2020 में, जब कोविड लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त एनपीआर की जनगणना और अद्यतन के पहले चरण के लिए पूरी तरह तैयार थे, जो एक अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाला था. भले ही कुछ राज्य सरकारों ने एनपीआर अपडेट का विरोध किया था, लेकिन सभी ने जनगणना की कवायद को पूरा समर्थन दिया था. यद्यपि जनगणना की कवायद में 8,700 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान था, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एनपीआर अभ्यास के लिए 3,941.35 करोड़ रुपये को मंजूरी दी थी.

जनगणना भारत के लोगों की विभिन्न विशेषताओं पर विभिन्न प्रकार की सांख्यिकीय जानकारी का सबसे बड़ा एकल स्रोत है. भारत के लोगों की समृद्ध विविधता वास्तव में दशवार्षिक जनगणना द्वारा सामने आई है जो देश की वास्तविक स्थिति को समझने और अध्ययन करने का एक उपकरण बन गया है. एनपीआर का उद्देश्य देश के प्रत्येक सामान्य निवासी का एक व्यापक पहचान डेटाबेस बनाना है.

डेटाबेस में जनसांख्यिकीय के साथ-साथ बायोमेट्रिक विवरण शामिल होंगे.एनपीआर देश के सामान्य निवासियों का एक रजिस्टर है.इसे नागरिकता अधिनियम, 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियमावली , 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय (गांव और उप-नगर), उप-जिला या उप-मंडल, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है.

सरकार ने 2015 में रजिस्टर को अपडेट करते समय आधार और उनके मोबाइल नंबर जैसे विवरण मांगे थे. अधिकारियों ने बताया कि इस बार उनके ड्राइविंग लाइसेंस और मतदाता पहचान पत्र से जुड़ी जानकारी भी जुटाई जा सकती है. यद्यपि माता-पिता के जन्म स्थान के बारे में जानकारी मांगी जाएगी, लेकिन यह नागरिकों पर निर्भर है कि वे प्रश्न का उत्तर देना चाहते हैं या नहीं, क्योंकि यह स्वैच्छिक है.

वर्तमान भारत जनगणना आयुक्त कौन है?

सही उत्तर डॉ विवेक जोशी है।

भारत में प्रथम जनगणना आयुक्त कौन है?

पहली तुल्यकालिक जनगणना: पहली तुल्यकालिक जनगणना 17 फरवरी, 1881 को ब्रिटिश शासन के तहत डब्ल्यू.सी. प्लौडेन (भारत के जनगणना आयुक्त) द्वारा करवाई गई।

भारत का महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कौन है?

भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्‍त विवेक जोशी हैं.

नवीनतम जनगणना कब हुई?

1951 के बाद की सभी जनगणनाएं 1948 की जनगणना अधिनियम के तहत कराई गईं। अंतिम जनगणना 2011 में कराई गई थी, तथा आगामी जनगणना 2021 में कराई जाएगी।

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