16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग ने क्या बनाया था - 16 agast 1946 ko muslim leeg ne kya banaaya tha

एक तरफ देश की आजादी की तैयारियां चल रही थीं, दूसरी तरफ मोहम्मद अली जिन्ना बंटवारे के लिए दबाव बनाए हुए था। उसने साफ कह दिया था कि पाकिस्तान से कम पर उसे कुछ भी मंजूर नहीं। 29 जुलाई 1946 को जिन्ना ने बम्बई में मुस्लिम लीग की बैठक बुलाई। इसमें पाकिस्तान की मांग करते हुए जिन्ना ने 16 अगस्त 1946 को ‘सीधी कार्रवाई’ यानी direct action day की घोषणा की। गुप्त बैठकों के जरिए मुस्लिम लीग के नेताओं ने हिंदुओं के नरसंहार की योजनाएं बनाई। इसकी शुरुआत के लिए कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) को चुना गया, क्योंकि वहां जिन्ना के खासम-खास हसन सुहरावर्दी की अगुवाई में मुस्लिम लीग की सरकार थी। अविभाजित बंगाल के मुस्लिम बहुल (54.3 प्रतिशत) होने के बावजूद कलकत्ता हिन्दू बहुल था। इसलिए बहुत सोच-समझकर कोलकाता को चुना गया। यहां सुहरावर्दी कानून-व्यवस्था मंत्रालय भी संभालता था और पुलिस सीधे तौर पर उसी के तहत आती थी। यह भी पढ़ें: जानिए लोग मुसलमानों का पाकिस्तानी क्यों कहते हैं?

डायरेक्ट एक्शन यानी ‘सीधी कार्रवाई’ से पहले सुहरावर्दी ने कलकत्ता के कुल 24 थानों में से 22 पर मुस्लिम पुलिस अधिकारियों को थाना प्रभारी बना दिया। जबकि बाकी दो पर एंग्लो इण्डियन का नियंत्रण था। कलकत्ता में 16 अगस्त 1946 को दोपहर तीन बजे एक विशाल मुस्लिम सभा आच्टरलोनी स्मारक के पास बुलाई गयी। जिन्ना के इशारे पर सुबह से ही मुस्लिम लीग के गुंडे-बदमाश हाथों में भाला, छुरे, गंडासे, लाठी, बंदूकें लेकर जाने लगे थे। हावड़ा के लीग के गुंडों को उनके तब के विधायक शरीफ खान ने हथियार दिलाये गये थे। मुस्लिम हॉस्टल में भी खास तैयारियां की गयी थीं। मुस्लिम लीगी मंत्रियों ने अपने खुद के कूपनों से पेट्रोल मुस्लिम लीगी गाड़ियों में भरवाया। 16 अगस्त की दोपहर मुस्लिम लीग की इस सभा में हिन्दुओं के खिलाफ जहरीले भाषण दिये गये। सभा समाप्त होते ही लीगी गुंडों ने पहले से तय हो चुके प्लान के मुताबिक दंगे शुरू कर दिए। यह भी पढ़ें: इस दलित स्कॉलर ने खोली “मीम-भीम” एकता की पोल

कहा जाता है कि दंगे शुरू होते ही सुहरावर्दी पुलिस नियंत्रण कक्ष में घंटों बैठा रहा और पुलिस को कार्रवाई से रोकता रहा। इस तरह जिन्ना द्वारा भड़काये गये इस दंगे में सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुल 3,173 लाशों का पता चला। वैसे मृतकों की संख्या का अनुमान 10 हजार से अधिक था। दुनिया के इतिहास में कहीं पर भी एक दिन के अंदर कत्लेआम का ये सबसे बड़ा मामला है। बाद में इस दंगे की जांच के लिए स्पेन्स कमीशन बनाया गया। जिसने माना कि मारे गए लोगों की संख्या सरकारी आंकड़ों से कहीं अधिक है। ये दंगा नहीं, बल्कि नरसंहार था, जिसके लिए सीधे तौर पर जिन्ना समर्थक मुसलमान थे। लेकिन जिन्ना के मुस्लिम लीगी मंत्रिमंडल के एक आदेश से स्पेंस कमीशन की जांच रोक दी गई, क्योंकि इस जांच में मुख्यमंत्री सुहरावर्दी व अनेक लीगी मंत्रियों की भूमिका स्पष्ट रूप से सामने आने लगी थी। हालांकि सुहरावर्दी बाद में नोआखाली दंगों के समय महात्मा गांधी का प्रिय हो गया था। बाद में वो पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) चला गया और 1956 में वहां का प्रधानमंत्री बना। यह भी पढ़ें: क्या वाकई वीर सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी?

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Q. "प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस" 16 अगस्त, 1946 को किसके द्वारा मनाया गया?
Answer: [A] मुस्लिम लीग
Notes: मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त, 1946 को "प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस" के रूप में मनाया। इसका उद्देश्य हिन्दू-मुस्लिम दंगे उत्पन्न करके यह सिद्ध करना था कि हिन्दू और मुस्लिम समुदाय एक साथ नहीं रह सकते।

पूर्वी बंगाल का नोआखाली जिला जिन्ना के 'डायरेक्ट एक्शन प्लान' की भेंट चढ़ा था. मुस्लिम बहुल इस जिले में हिंदुओं का व्यापक कत्लेआम हुआ था.

कलकत्ता में 72 घंटों के भीतर 6 हजार से अधिक लोग मारे गए थे. 20 हजार से अधिक घायल हो गए थे. 1 लाख से अधिक बेघर हो गए थे. इसे ग्रेट कलकत्ता किलिंग भी कहा जाता है.

इस कत्‍लेआम की शुरुआत मुस्लिम लीग द्वारा 'डायरेक्ट एक्शन डे' की घोषणा से हुई थी. ये 'सीधी कार्रवाई' मुस्लिम लीग का अभियान था, जो पाकिस्तान को देश के रूप में भारत से अलग करने के लिए चलाया गया था. कहा जाता है कि लीग के उकसाने पर ही ये दंगे हुए.


हिंदू कुछ और ज्यादा हिंदू हो गए थे और मुसलमान कुछ और ज्यादा मुसलमान. सदियों पुरानी हिंदू-मुस्लिम एकता की भव्य इमारत को अंग्रेजी तंत्र का दीमक चाट चुका था.

जिन्ना पाकिस्तान बनाने की उतावली में पागलपन की हद तक पहुंच गए थे. 15 अगस्त, 1946 को उन्होंने हिंदुओं के खिलाफ 'डायरेक्ट एक्शन' (सीधी कार्रवाई) का फरमान जारी कर दिया. हिंदू महासभा भी 'निग्रह-मोर्चा' बनाकर प्रतिरोध की तैयारियों में जुट गई. गृहयुद्ध की सारी परिस्थितियां सामने थीं.

हिंदुस्तान की धड़कनों को पहचानने वाले महात्मा गांधी आने वाले समय की भयंकरता समझ रहे थे. बापू ने आखिरी वाइसराय माउंट बेटन से अपनी दूसरी मुलाकात में साफ-साफ कह दिया, 'अंग्रेजी तंत्र की 'फूट डालो और शासन करो' की नीति ने वह स्थिति बना दी है, जब सिर्फ यही विकल्प बचे हैं कि या तो कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अंग्रेजी राज ही चलता रहे या फिर भारत रक्त स्नान करे.

पंद्रह दिन तक तो बाकी दुनिया को इस नरसंहार की कानोकान खबर तक नहीं पहुंची. इसे नियति की विडंबना ही कहेंगे कि जिन मुसलमानों ने यह बर्बर कृत्य किया, दरअसल नोआखाली के वे गरीब, अशिक्षित, बहकाए हुए मुसलमान मुश्किल से पचास वर्ष पूर्व के धर्म-परिवर्तित हिंदू थे.

नोआखाली नरसंहार ने समूचे हिंदुस्तान को स्तब्ध कर दिया. हिंदू-मुस्लिम एकता के गांधी के प्रयासों को यह एक बहुत बड़ा धक्का था. बापू के लिए परीक्षा की असली घड़ी आ गई थी. उन्होंने तुरंत दिल्ली से नोआखाली जाने का निर्णय लिया. वहां अनशन किया और फिर ये नरसंहार रुक सका.

16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग ने क्या बनाया?

मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त को एक सामान्य हड़ताल (हार्टल) की योजना बनाई, . इसे अस्वीकार करने के लिए इसे प्रत्यक्ष कार्य दिवस कहा, और एक अलग मुस्लिम मातृभूमि की मांग पर जोर दिया। उन दिनों में बंगाल की स्थिति विशेष रूप से जटिल थी।

मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त 1946 को सीधी कार्रवाई दिवस कक्षा 8 के रूप में क्यों घोषित किया?

16 अगस्त 1946 को, मुस्लिम लीग ने मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में "डायरेक्ट एक्शन डे" का आह्वान कियामुस्लिम लीग द्वारा डायरेक्ट एक्शन डे, पाकिस्तान को कानूनी तरीकों से नहीं तो हिंसक माध्यम से प्राप्त करने के लिए था। मोहम्मद अली जिन्ना ने घोषणा की कि या तो हमारा भारत "विभाजित भारत या नष्ट भारत" होगा।

मुजफ्फरनगर दंगे में कितने मुसलमान मारे गए?

२७ अगस्त २०१३ मुज़फ़्फ़र नगर जिले के कवाल गाँव में हिन्दू -मुस्लिम हिंसा के साथ यह दंगा शुरू हुआ जिसके कारण अब तक 65 जाने जा चुकी है और ९३ हताहत हुए हैं। १७ सितम्बर को दंगा प्रभावित हर स्थानों से कर्फ्यु हटा लिया गया और सेना वापस बुला ली गयी।

1947 में कितने मुस्लिम मारे गए?

विभाजन की घोषणा होने के बाद अनुमानित रूप में 10 लाख लोग मारे गए थे हालंकि एक अनुमान के मुताबिक 20 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। जबकि अनुमानित रूप में 75 हजार से 1 लाख महिलाओं का बलात्कार या हत्या के लिए अपहरण हुआ। भारत विभाजन के दौरान बंगाल, सिंध, हैदराबाद, कश्मीर और पंजाब में दंगे भड़क उठे।

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